आलोक वर्मा, जौनपुर ब्यूरो,
पत्रकार हत्याकाण्ड: पत्रकार की हत्या बनी पहेली
शाहगंज, जौनपुर। पत्रकार आशुतोष श्रीवास्तव की आत्मा नेताओं को कोस रहीं होगी। जहां पत्नी का असमय सुहाग उजड़ गया, वहीं बेटा अनाथ हो चुका है जिसके लिए आशुतोष जीते मरते थे, वे लापता हैं। राजनैतिक और सरकारी मशीनरी की लापरवाही का शिकार बन गए। गोकशी, गो तस्करी, धर्मांतरण और भू—माफियाओं के विरुद्ध लड़ाई से लड़ते-लड़ते गोलोकवासी हो गये। अब यही सरकारी मशीनरी व नेता चुनाव में व्यस्त हैं। क्या सत्ता पक्ष क्या विपक्ष कोई भी दरवाजे पर नहीं पहुंच रहा। भाई संतोष श्रीवास्तव कहते हैं कि हिन्दू वादी संगठनों भाजपा नेताओं ने जीते जी भाई का फायदा उठाया लेकिन अब कोई भी नहीं दिख रहा जिसके चलते पूरा परिवार मर्माहत है। मुख्यमंत्री इस दौरान कई बार जिले में आयें लेकिन एक बार भी घटना का जिक्र तक नहीं किया। यह भी परिवार के लिए बेहद अफसोसनाक है। आरएसएस से जुड़े होने के कारण हिंदुत्ववादी संगठनो से जुड़े रहे। वहीं भाजपा के नेताओं ने भी भरपूर फायदा उठाया। लेकिन मौत के बाद सारे लोग गायब हैं।
फायर ब्रांड पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट रहे आशुतोष श्रीवास्तव की पत्नी अलका श्रीवास्तव की आंखें नम है। एकलौता बेटा सार्थक सुध-बुध खो चुका है। एक झटके में ही आसमान सर पर आ गिरा और सब कुछ तहस नहस कर गया। सत्ताधारी दल के कुछ नेता दरवाजे पर अवश्य पहुंचे लेकिन रश्म अदायगी कर लौट गये। यक्ष प्रश्न उठ खड़ा हुआ है कि अलका कैसे जीवन जितेगी और बेटा सार्थक का जीवन कैसे सार्थक होगा। चुनावी शोर में आशुतोष की पत्नी अलका की आहें दब गयी हैं। वहीं हत्या अबुझ पहेली बन दो नामजद आरोपितों में मुम्बई के बड़े कारोबारी नासिर जमाल व उसका भाई अर्फी उर्फ कामरान फरार है। वहीं अज्ञात बदमाशों समेत शूटरों की पहचान पुलिस अभी नहीं कर सकी है। वहीं मृत्यु के पूर्व पत्रकार द्वारा एक भाजपा नेता की चर्चा जोरों पर है। लोग जानना चाहते हैं कि आखिरकार वह भाजपा नेता कौन है जिससे पत्रकार कों जान का खतरा था। इस बाबत कोतवाली निरीक्षक मनोज ठाकुर कहते हैं कि दोनों नामजद आरोपितों के सम्भावित स्थानों पर दबिश दी जा रही है। वहीं अज्ञात लोगों की जल्द पहचान कर गिरफ्तार किया जायेगा।