बरेली-मुरादाबाद में तेंदुए का आतंक

ब्यूरो,

बरेली-मुरादाबाद में तेंदुए का आतंक

बरेली में भीरा थाना क्षेत्र के गांव में खेत में सिंचाई कर रहे तीन मजदूरों पर तेंदुए ने हमला कर दिया। हमले में जख्मी मजदूरों को सीएचसी से जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। वहीं तेंदुए के हमले से गुस्साए ग्रामीणों ने उसे घेर लिया। आरोप है कि खेत में छिपे तेंदुए को गांव वालों ने लाठी-डंडों से पीटकर गंभीर रूप से जख्मी कर दिया। कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई। वन विभाग ने शव को कब्जे में ले लिया है।

घटना भीरा थाना क्षेत्र के रामपुर गांव में हुई। दुधवा टाइगर रिजर्व के बफर जोन के इस गांव में बुधवार की दोपहर तेंदुए ने खेत पर काम कर रहे ग्रामीणों पर हमला कर दिया। सिंचाई कर रहे मजदूर संतराम पुत्र लोटन, रामसागर पुत्र जगदीश व राजू पुत्र हीरा लाल तेंदुए के हमले में जख्मी हो गए। उनको बिजुआ सीएचसी से जिला अस्पताल रेफर कर दिया। हमला करने के बाद भी तेंदुए एक खेत में छिपा था। बताया जाता है कि तेंदुए के हमले से आक्रोशित ग्रामीणों की भीड़ दोबारा खेत पर पहुंची और तेंदुए को घेर लिया। वन विभाग का आरोप है कि भीड़ ने तेंदुए को घेरकर पीटा और उसे गंभीर रूप से जख्मी कर दिया। आरोप यह भी है कि उसको ट्रैक्टर से टक्कर मारी गई और भाली से हमला किया गया। सूचना पर जब तक वन विभाग की टीम पहुंची, तेंदुए की मौत हो चुकी थी। उसके शव को रेंज आफिस लाया गया।

तीन साल की थी मादा तेंदुआ, पोस्टमार्टम आज
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि मारा गया तेंदुआ मादा था और उसकी उम्र दो से तीन साल के करीब है। वन विभाग ने शव को कब्जे में लेकर उच्चाधिकारियों को सूचना दी। डीडी बफर जोन शौरीष सहाय ने बताया कि हमलावरों की पहचान की जा रही है। पोस्टमार्टम के बाद यह साफ हो सकेगा कि तेंदुए की मौत कैसे हुई है। गुरुवार की सुबह पोस्टमार्टम होगा।

ढाका गांव में बाघ की चहलकदमी से फैली दहशत
मैलानी थाना क्षेत्र के ढाका गांव में बाघ आबादी में पहुंच गया लोगों ने देखा तो उनकी सांसें अटक गई। मैलानी वन रेंज व थाना क्षेत्र में बाघ की चहल कदमी काम नहीं हो रही है। मंगलवार की देर रात बाघ ढाका गांव में पहुंच गया। वहीं के निवासी डाल चंद्र का कहना है कि रात लगभग 930 बजे वह जाग रहे थे। किसी जानवर की आहट सुनाई दी तो उन्होंने उठकर देखा वह बाघ था। उनकी सांसें अटक गई। बाघ निकल जाने के बाद उन्होंने लोगों को सूचना दी तब लोग एकत्र हुए और शोर मचाया। गनीमत रही कि कोई हादसा नहीं हुआ।

प्रधान रामकिशन का कहना है हर रोज वन विभाग को सूचना दी जाती है,पर वन विभाग की निगाह में आदमी की जान की कोई कीमत नहीं बची है। इसी लिए ध्यान नहीं दिया जाता है। बाघ के खौफ से ढाका गांव में ग्रामीणों को रातों में नींद नहीं आ रही है। जाग कर रात गुजार रहे हैं। डीडी बफर जोन, शौरीष सहाय ने कहा कि तेंदुए के शरीर पर कई जख्म हैं। आशंका है कि उसे पीटकर मारा गया। सुबह पोस्टमार्टम के बाद मौत का कारण स्पष्ट होगा। हमलावरों की पहचान की जा रही है।

मुरादाबाद में ठाकुरद्वारा क्षेत्र के गांव फोंदापुर में केला देवी की भतीजी पायल (18) मकान के आंगन में नाश्ते की तैयारी कर रही थी। जैसे ही तेंदुए ने चाची पर हमला बोला और उनकी चीख निकली। पायल एकदम घबरा गई लेकिन जैसे ही उसने देखा कि तेंदुआ कमरे के भीतर घुस गया है, पायल झपटकर कमरे के पास पहुंची और दरवाजा बाहर से बंद कर दिया।

पायल के परिजन पिता राजेंद्र, कमलेश देवी, शीला भी मौके पर पहुंच गए और दरवाजा बंद करने में मदद की। तेंदुआ घुसने की घटना के बाद त्रिलोक मझरा, जटपुरा और फौंदापुर रोड पर वाहनों का आवागमन ठप हो गया। हमले में पिता-पुत्र समेत चार लोग जख्मी हो गए। इन हमले में भूकन का बेटा नितिन भी तेंदुए के हमले में घायल हो गया। गांव वालों ने बताया कि 12 मई को नितिन की शादी है।

पहले भी आबादी वाले क्षेत्र में घुस आया था तेंदुआ
फौंदापुर से पहले रायभूड़ में भी आबादी में तेंदुआ घुस आया था। वन विभाग की टीम ने किसी तरह को पिंजरे में कैद किया था। इससे पहले नगर के मोहल्ला बहेड़ा वाला में आबादी में घुसा तेंदुआ मकान के भीतर पहुंच गया था और परिवार के लोगों को घायल कर दिया था। ग्रामीणों ने लाठियों से ही तेंदुए को काबू में कर बांधकर डाल दिया था।

महिला सहित पांच लोग बन चुके हैं तेंदुए का निवाला
पड़ोसी अमानगढ़ रेंज और कॉर्बेट नेशनल पार्क से पानी की तलाश में तेंदुए क्षेत्र में घुस आए थे और पाडला के निकट अपना बसेरा कर लिया था। इन तेंदुओं ने क्षेत्र के पांच लोगों को निवाला भी बना डाला। दरियापुर में महिला को निवाला बनाया तो ख्वाजापुर धतला में बच्चों को निवाला बनाया था। नयागांव बहादुर नगर में किशोर निवाला बना डाला था।

आपसी संघर्ष और हादसे में मारे जा चुके हैं कई तेंदुए
क्षेत्र में सक्रिय तेंदुओं के आपसी संघर्ष में सुरजननगर पीपली मार्ग पर तेंदुआ मौत के आगोश में समा गया था। सड़क दुर्घटनाओं में भी कई तेंदुओं की मौत हो चुकी है। वन विभाग के अफसरों का कहना है कि लोगों को तेंदुओं के साथ ही जीने का तरीका सीखना होगा इनसे अभी छुटकारा मिलना असंभव है।

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