आलोक वर्मा, जौनपुर ब्यूरो,
सूफी संत भूंदरा शाह बाबा का उर्स 30 अप्रैल को मनाया जायेगा
जौनपुर । आदि गंगा गोमती के पावन तट पर बसी सिराज-ए- हिन्द की जौनपुर नगरी में स्थित मोहल्ला रौजा अर्जन निकट मल्हनी पड़ाव के पास हजरत मौलाना सादिक अली शाह रहमुल्लाह उर्फ भूंदरा शाह बाबा की समाधि चित्रसारी मार्ग पर स्थित है। भूदरा शाह बाबा का सालाना 405 वां उर्स तीस अप्रैल को मनाया जाएगा।भूदरा शाह बाबा एक प्रख्यात सूफी संत हजरत शेख फतरूख्वाह हक्कानी कादरी की औलाद और ईश्वर लीन फकीरों में एक थे, जो सबके दिलों की बात अच्छी तरह से जानते थे। बताया जाता है कि भूंदरा शाह बाबा जमीन के अन्दर गार और वीराने में रहा करते थे। बाबा ऐसे स्थान पर रहना पसन्द करते थे जहां दूसरों का आना जाना बहुत कम होता था। जिस गार में बाबा रहते थे उसके ऊपर दो काले रंग के कुत्ते बैठे रहते थे, जब कोई भी व्यक्ति किसी जरूरत से बाबा के पास आता था, वह कुत्तों के सामने हलुआ डालता था। यदि कुत्ता हलुआ खा लेता था तो वह व्यक्ति बाबा के सामने जाता था। अगर कुत्ते ने हलुआ नहीं खाया तो वह व्यक्ति पास नहीं जाता था और उसका काम भी नहीं होता था।
भूंदरा शाहबाबा दीर्घ काल तक अपने यहां आने वालों का लाभ पहुंचाते रहे। बाबा का देहान्त नौ शाबान 1030 हिजरी यानि 1620 को हुआ था। बाबा के मानने वालों ने उस गार के ऊपर भव्य रौजा भवन बनवाया है। जहां हर साल 30 अप्रैल को सालाना उर्स मनाया जाता है।
उर्स आयोजन समिति के संयोजक अफसर अली सिद्दीकी पुत्र मरहूम जफरुद्दीन सिद्दीकी उर्फ जफर भाई का कहना है कि बाबा के यहां आने वाले हर एक की दिली मुरादें पूरी हो जाती है। उन्होने बताया कि हर साल यहां 30 अप्रैल को साम्प्रदायिक एकता पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया जाता है। शाम से मेला लगता है जो रात भर चलता है। जिसमें हर धर्म और सम्प्रदाय के लोग आते है। भजन व कौव्वाली का भी आयोजन किया जाता है। क्योकि बाबा सूफी सन्त थे, वे सदैव समाज, देश व राष्ट्र का भला चाहते थे, इस बार धूमधाम से रस्म अदा होगी । इस साल भी बाबा का सालाना उर्स तीस अप्रैल को ही मनाया जाएगा , जिसमें जौनपुर सहित पड़ोसी जिलों वाराणसी, आजमगढ़, गाजीपुर, भदोही से लोग आते है ,साम्प्रदायिक एकता की जीवन्त मिसाल भूंदरा शाह बाबा की मजार का दर्शन कर लोग ही चादर चढ़ाएगे । इस जलसे के संयोजक रहे जफर भाई ने नगर में दो प्रिण्टिग प्रेस बड़े पैमाने पर लगा रखा है और उन्होने अपने दोनों प्रेसो का नाम क्रमशः गोमती व गंगा प्रेस रखा है। जो सिराज-ए- हिन्द जौनपुर मे कौमी एकता की मिसाल है।