लखनऊ । राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश प्रवक्ता सुरेन्द्र नाथ त्रिवेदी ने भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा कुछ और राहत दिए जाने को जनहित में लिया गया अच्छा कदम बताते हुए कहा कि इससे कर्जदारों को ऋण की किश्त भुगतान में तीन महीने की छूट अवश्य मिल जायेगी परन्तु भविष्य में इस रकम पर ब्याज की स्थिति स्पष्ट नहीं है।अच्छा होता कि इन छः किश्तों को अन्त में मूलधन के रूप में लेने का ऐलान किया जाता।यद्यपि रिजर्व बैंक ने जितना किया है वह जनता की अपेक्षाओं से बहुत कम है।ऋण के बोझ तले दबे लोग सरकार और रिजर्व बैंक से आशा की डोर बाँधे हुए हैं क्योंकि ऋण दाता बैंकों पर आम जनता का भरोसा मजबूत नहीं है।देश का शेयर बाजार भी इसका प्रमाण है जहाँ विभिन्न बैंकों के शेयर भी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं। श्री त्रिवेदी ने कहा कि लाक डाउन की स्थिति में रिजर्व बैंक की यह घोषणा अर्थव्यवस्था को बल देने का अच्छा कदम कहा जा सकता है परन्तु इस देश की सरकारों को अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए किसान मसीहा चौ.चरण सिंह की नीतियों को उपयोग में लाना पड़ेगा।उनका मानना था कि जब तक इस देश का किसान और मजदूर जब तक खुशहाल नहीं होगा और बाजार में खरीदारी करने के लिए किसानों और मजदूरों की जेब में धन नहीं होगा तब तक देश की अर्थव्यवस्था सन्तोषजनक नहीं हो सकती। भाजपा शासन में इसी वर्ग की अनदेखी ने सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था को निम्न स्तर तक पहुँचा दिया।अब इस महामारी ने देश की जी.डी.पी.को शून्य तक ला दिया है। रालोद प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि आवश्यकता इस बात की है कि हमें अन्य देशों की गिरावट के विषय में न पड़कर अपने देश के किसानोंऔर मजदूरों की दशा को सुधारने में जुट जाना चाहिए।इस सन्दर्भ में सरकारों द्वारा प्रत्येक गाँव में कम से कम एक कुटीर उद्योग की स्थापना अवश्य की जाय तथा सभी किसानों को बीज ,खाद की उपलब्धता के साथ साथ सुलभ सिंचाई के लिए सस्ती दरों पर बिजली और सस्ता डीजल उपलब्ध कराया जाय।इसके अतिरिक्त तैयार फसलों का लाभकारी मूल्य मिलने की व्यवस्था होनी चाहिए।कुटीर उद्योगों में तैयार माल के लिए भी बाजार की व्यवस्था की जाय।यदि सरकार विपक्ष को धराशायी करने का सपना देखना बन्द करके तत्काल इसमें जुट जाती है तो निश्चित ही सकारात्मक परिणाम बहुत शीघ्रता से सामने आयेंगे और भारत एक बार फिर विश्व गुरु बनने के मार्ग पर चल पडे़गा।