हिंदू पंचांग के अनुसार आज बेहद शुभ दिन है। आज शनि जयंती के साथ वट सावित्री व्रत भी मनाया जा रहा है। बता दें, न्याय के देवता भगवान शनिदेव के जन्मोत्सव को शनि जयंती के रू में मनाया जाता है। जबकि वट सावित्री का व्रत सुहागन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु और उसके कष्ट दूर करने की इच्छा से रखती हैं। यह दोनों व्रत एक ही दिन मनाए जाते हैं। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार शनि जयंती ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। भगवान शनि, सूर्यदेव के पुत्र और शनि ग्रह के स्वामी हैं। शनि जयंती के दिन शनि देव की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। शनि देव की पूजा करने से व्यक्ति की सभी मंगल कामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन विधि पूर्वक पूजा और व्रत रखकर शनि की अशुभता को दूर किया जा सकता है।
शनि जयंती की तिथि और शुभ मुहूर्त
शनि जयंती की तिथि: 22 मई 2020
अमावस्या तिथि प्रारंभ: 21 मई 2020 को रात 9 बजकर 35 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त: 22 मई 2020 को रात 11 बजकर 8 मिनट तक
शनि जयंती की पूजा विधि –
शनि जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके सबसे पहले इस व्रत का सकंल्प लिया जाता है। इसके बाद लकड़ी के एक टुकडे में साफ काला रंग का एक कपड़ा बिछाकर उस पर शनिदेव की प्रतिमा स्थापित करें। यदि प्रतिमा या तस्वीर न भी हो तो एक सुपारी के दोनों और शुद्ध घी या फिर तेल का दीपक जला लें। दीपक में काले तिल जरूर डालें। इसके बाद धूप जलाकर शनि देव के इस स्वरूप को पंचगव्य, पंचामृत, इत्र आदि से स्नान करवाएं। सिंदूर, कुमकुम, काजल, अबीर, गुलाल आदि के साथ-साथ नीले या काले फूल शनिदेव को अर्पित करें। इमरती व तेल से बने पदार्थ अर्पित करें। इसके बाद शनि मंत्र की माला का जाप करें। आरती करने के बाद शनि महाराज को तेल में बनीं पूड़ियों का भोग लगाएं। शनि जयंती के दिन सूर्य उपासना नहीं करनी चाहिए।