ब्यूरो,
आत्महत्या का प्रयास करना और फिर इसका दोष पति व उसके परिवार के सदस्यों पर मढ़ने की कोशिश करना पत्नी का अत्यधिक क्रूरतापूर्ण कृत्य:
हाईकोर्ट दिल्ली
दिल्ली उच्च न्यायालय ने खुदकुशी से जुड़े एक मामले में सुनवाई के दौरान बड़ी टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने मंगलवार का कहना है कि पहले तो आत्महत्या का प्रयास करना और फिर इसका दोष पति व उसके परिवार के सदस्यों पर मढ़ने की कोशिश करना पत्नी का अत्यधिक क्रूरतापूर्ण कृत्य है।
न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ऐसे मामलों में, परिवार को झूठे मुकदमों में फंसाए जाने का लगातार खतरा बना रहता है। साथ ही कहा कि भारत के उच्चतम न्यायालय ने भी माना है कि बार-बार आत्महत्या करने की धमकी देना या आत्महत्या का प्रयास करना क्रूरता है। उच्च न्यायालय ने एक कुटुंब अदालत के आदेश को बरकरार रखते हुए एक व्यक्ति को पत्नी की क्रूरता के आधार पर तलाक देने का आदेश पारित किया।
पीठ में न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा भी शामिल रहीं। पीठ ने कहा कि दंपति का वैवाहिक जीवन शुरू से ही तनावपूर्ण था। बाद में पत्नी ने आत्महत्या करने के प्रयास में मच्छर भगाने वाला तरल पदार्थ भी पी लिया था, लेकिन बाद में, यह दावा करके खुद को निर्दोष बताने की कोशिश की कि वह ऐसा करने के लिए मजबूर थी।
महिला ने आरोप लगाया था कि चूंकि उसे उचित आहार नहीं दिया जा रहा था, इसलिए पति ने उसे पौष्टिक टॉनिक के नाम पर तरल पदार्थ दिया,। हालांकि बाद में उसने स्वीकार किया कि घटना के समय पति कार्यस्थल पर था।
अदालत ने कहा, ‘अपीलकर्ता का आत्महत्या का प्रयास करना और फिर पति और उसके परिवार के सदस्यों पर दोष मढ़ने की कोशिश करना अत्यधिक क्रूरतापूर्ण कृत्य था। क्योंकि परिवार को झूठे मामलों में फंसाए जाने का लगातार खतरा बना हुआ था।’
अदालत ने कहा, ‘आत्महत्या की निरंतर धमकियों और आत्महत्या के प्रयास को सर्वोच्च न्यायालय ने क्रूरता के समान माना है… (एक अन्य मामले में) शीर्ष अदालत ने कहा था कि यदि पत्नी आत्महत्या कर लेती है, तो कोई केवल कल्पना ही कर सकता है कि पति बेचारा कैसे चंगुल में फंस जाएगा, जिससे उसकी मन की शांति, करियर और शायद उसका पूरा जीवन बर्बाद हो जाएगा। आत्महत्या के प्रयास की ऐसी धमकी क्रूरता के समान है।’