उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा ने कहा है कि प्रियंका वाड्रा ने ऐसे संवेदनशील मौके पर अपर मुख्य सचिव गृह को फर्जी सूची भेजकर न सिर्फ सरकार का ही वक्त खराब किया, बल्कि धोखाधड़ी का आपराधिक कृत्य किया है। इतना ही नहीं प्रियंका ने झूठ बोला कि बसें बार्डर पर खड़ी हैं। इसके लिए उन्हें देश से माफी मांगना चाहिए। डा. शर्मा ने ये आरोप बुधवार को प्रेस कांफ्रेस कर लगाए। उन्होंने कहा कि प्रियंका वाड्रा द्वारा उपलब्ध कराई गईं सूची में 460 वाहन यानि आधी बसें फर्जी निकलीं। 297 बसें कबाड़ हैं। सड़क पर चलने लायक नहीं हैं। फिटनेस प्रमाण पत्र तक के लायक नहीं हैं। क्या प्रियंका श्रमिकों की जान से खेलना चाहती थीं। आपदा के वक्त इस घिनौने मजाक की आखिर क्या जरूरत थी ? बसों के नाम 98 थ्री व्हीलर, कारें और एबुंलेंस की सूची भेज दीं जबकि 68 वाहनों के कागज ही नहीं हैं। बिना कागज के वाहन कैसे होते हैं, ये आसानी से समझा जा सकता है। प्रियंका के कहने पर कैसे आईं राजस्थान की सरकारी बसेंउपमुख्यमंत्री ने कहा कि बार्डर पर कुछ बसों के साथ इनके लोगों ने जो वीडियो बनाए हैं, वे राजस्थान परिवहन की बसें हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या राजस्थान परिवहन की सरकारी बसें प्रियंका वाड्रा की निजी संपति हैं? आखिर किस संवैधानिक हैसियत से उनके आदेशों पर राजस्थान परिवहन की बसें चल कर आ गई हैं। कोटा में फंसे छात्रों को लाने में क्यों चुप रहींसवाल यह भी है कि जब राजस्थान के कोटा में यूपी के 12 हजार बच्चे फंसे थे, तब प्रिंयका ने इन बच्चों को राजस्थान परिवहन की बसों से घर तो छोड़िए, यूपी बार्डर तक क्यों नहीं भिजवाया ? तब मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने 630 बसें लगाकर रातों रात सबसे पहले यूपी के बच्चों को वहां से निकाला। खुद राजस्थान के सीएम अशोक गहलौत ने भी इसकी तारीफ की। इन बच्चों को न वहां भोजन मिल रहा था और न ही सरकार कोई मदद कर रही थी, तब प्रियंका की ये बसें कहां गई थीं। उन्होंने कहा कि पहले प्रियंका ने कहा कि उनकी बसें लखनऊ नहीं पहुंच पाएंगी। क्योंकि वे नोएडा व गाजियाबाद के बार्डर पर पहले से ही खड़ी हैं। तब प्रदेश सरकार ने कहा कि ठीक है आप नोएडा और गाजियाबाद के डीएम को बसें सौंप दें लेकिन बसें अभी तक नहीं सौंपी गईं। अब इनके लोग पीछे भागने लगे। तरह-तरह के बहाने बनाने लगे हैं कि बस जुटा रहे हैं।