ब्यूरो,
लखनऊ में नकली नोटों की सप्लाई करने वाले गिरोह से बरामद नकली नोट को देखकर पुलिस अधिकारी हैरान रह गए। स्टाम्प पेपर वाले कागज पर ये लोग प्रिन्टर से अपने घर पर ही हूबहू असली जैसे नोट छाप रहे थे। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि डीसीपी ने एक सिपाही को पांच सौ का नकली नोट देकर दुकान से सामान लाने भेजा। दुकानदार ने नोट लेकर उसे अलटा-पलटा, फिर सामान दे दिया। बाद में पुलिस ने उससे नोट यह कहकर वापस लिया कि नकली है। इस पर वह सकपका गया।
पुलिस ने बताया कि ये लोग अधिकतर 500, 200 व 100 के नकली नोट छाप रहे थे। कुछ दिन पहले चिनहट में 20 हजार रुपये के नकली नोट एक व्यक्ति को दिए थे।
लालच में आ गया गिरोह में दिल्ली में अलीपुर के विकास भारद्वाज ने सबको अपने साथ जोड़ा था। प्रॉपर्टी डीलर विकास दुबे कम समय में ज्यादा कमाने के चक्कर में जुड़ा था। उसके सम्पर्क में रहने वाला 19 साल का विकास सिंह भी लालच में आकर गिरोह के लिए काम करने लगा। वह एक सरकारी स्कूल से स्नातक प्रथम वर्ष की पढ़ाई कर रहा है। एसीपी अलीगंज आशुतोष कुमार ने बताया कि गिरोह में सबका काम बंटा था। रवि प्रकाश ने इंटर तक की पढ़ाई की है। वह और उत्कर्ष नोट छापते थे। विकास दुबे और विकास सिंह लखनऊ के कई इलाकों व आस पास के जिलों में सप्लाई करते थे।
एसीपी आशुतोष ने बताया कि ये लोग 20 हजार रुपये के असली नोट लेकर उसे एक लाख रुपये के नकली नोट देते थे। इसके अलावा ये लोग भी अक्सर अपने खर्चे नकली नोट से ही करते थे। वहीं, गिरोह के सरगना विकास भारद्वाज ने बताया कि वह तीन साल से लखनऊ व आसपास के जिलों में नकली नोट की सप्लाई कर रहा है। इस दौरान उसने लाखों रुपये खपा दिये हैं।