विश्व बैंक ने मंगलवार (19 मई) को कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण दुनिया भर में छह करोड़ से अधिक लोग गरीबी के दलदल में फंसेंगे। इस वैश्विक निकाय ने इस वैश्विक संकट से उबरने के अभियान के तहत 100 विकासशील देशों को 160 अरब डॉलर की सहायता देने की घोषणा की है। यह पूरी सहायता पंद्रह महीने की अवधि में दी जाएगी।
विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मालपॉस ने एक कॉन्फ्रेन्स कॉल में संवाददाताओं से कहा, “इस महामारी और विकसित अर्थव्यवस्थाओं के बंद होने से छह करोड़ से अधिक लोग गरीबी की दलदल में फंस जाएंगे। हाल के दिनों में गरीबी उन्मूलन की दिशा में हमने जो प्रगति की है, उसमें से बहुत कुछ खत्म हो जाएगा।” उन्होंने कहा, “विश्व बैंक समूह ने तेजी से कदम उठाया है और 100 देशों में आपात सहायता अभियान शुरू किया है। इसमें अन्य दानदाताओं को कार्यक्रम के तेजी से आगे बढ़ाने की अनुमति होती है। विश्व बैंक से सहायता पा रहे इन 100 देशों में दुनिया की 70 प्रतिशत आबादी रहती है। इनमें से 39 अफ्रीका के उप-सहारा क्षेत्र के हैं। कुल परियोजनाओं में एक तिहाई अफगानिस्तान, चाड, हैती और नाइजर जैसे नाजुक और चरमपंथ प्रभावित क्षेत्रों में हैं।” मालपॉस ने कहा, “वृद्धि के रास्ते पर लौटने के लिये हमारा लक्ष्य स्वास्थ्य आपात से निपटने को लेकर तीव्र और लचीला रुख होना चाहिए।”
दूसरी ओर, कोरोना वायरस महामारी से निपटने में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के तौर तरीके की अमेरिका द्वारा की जा रही आलोचना के बीच, डब्ल्यूएचओ के सदस्य देश इस वैश्विक संकट के प्रति संयुक्त राष्ट्र की इस एजेंसी की जवाबी कार्रवाई की स्वतंत्र जांच पर मंगलवार (19 मई) को सहमत हो गए। डब्ल्यूएचओ की वार्षिक सभा में हिस्सा ले रहे देशों ने इस संकट के प्रति संयुक्त जवाबी कार्रवाई की अपील करते हुए आम सहमति से एक प्रस्ताव पारित किया। पहली बार यह सभा आभासी रूप से हुई।