ब्यूरो,
भारत से अमेरिका के लिए उड़ानें 20 जनवरी को फिर से शुरू हो गई है। फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) ने सी-बैंड 5G टेक्नोलॉजी के रोलआउट के बावजूद कम दृश्यता की स्थिति में भी अधिकतर विमानों की लैंडिंग को मंजूरी दे दी है। घोषणा के बाद एयर इंडिया ने भारत से अमेरिका के लिए उड़ानें फिर से शुरू की है।
14 जनवरी को FAA ने चेतावनी दी थी कि आवंटित 3.7-3.98 गीगाहर्ट्ज बैंड में एटी एंड टी और वेरिजों द्वारा नई 5G टेक्नोलॉजी का रोलआउट संभावित रूप से रडार अल्टीमीटर जैसे ऑनबोर्ड उपकरणों के साथ इंटरफेरेंस का कारण बन सकता है। कमर्शियल यात्री और कार्गो एयरलाइंस ने भी विमानन संकट की चेतावनी दी थी।
19 जनवरी को एयर इंडिया ने कहा था कि अमेरिका में 5G कम्युनिकेशन के कारण दिल्ली-न्यूयॉर्क, दिल्ली-शिकागो, दिल्ली-सैन फ्रांसिस्को रूट पर 8 उड़ानों का ऑपरेशन नहीं किया जाएगा। एयर इंडिया के साथ ही दुनिया के कई और एयरलाइंस ने भी अपनी उड़ानें रद्द कर दी थीं।
अमेरिका के दो सबसे बड़े वायरलेस कम्युनिकेशंस सर्विस प्रोवाइडर्स में से दो एटी एंड टी और वेरिजोन द्वारा किए गए 5G डिप्लॉयमेंट से एयरलाइंस की चिंताएं बढ़ गई थी। एयरलाइंस ने कहा कि टेलिकॉम कंपनियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली फ्रीक्वेंसी ऑनबोर्ड इंस्ट्रूमेंट्स द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली फ्रीक्वेंसी के बहुत करीब हैं जैसे कि रडार अल्टीमीटर जो 4.2-4.4 गीगाहर्ट्ज रेंज में काम करते हैं।
हरेक एयरक्राफ्ट, स्पेसक्राफ्ट और यहां तक कि मिसाइल के लिए भी ऊंचाई और तय की गई दूरी को मापने के लिए एक अल्टीमीटर की जरूरत होती है। अल्टीमीटर मुख्य तौर पर तीन तरह के होते हैं। बैरोमेट्रिक, लेजर और रेडियो या रडार अल्टीमीटर। अधिकांश कमर्शियल यात्री और कार्गो एयरक्राफ्ट अपना रूट निर्धारित करने के लिए ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम के साथ इन सभी अल्टीमीटर के कॉम्बिनेशन का इस्तेमाल करते हैं। इनका इस्तेमाल समुद्र तल से ऊंचाई, ऊंचे स्थान, पहाड़ और अन्य किसी तरह की बाधा जैसे फैक्टर्स का इस्तेमाल करते हैं।
रेडियो या रडार अल्टीमीटर एक बहुत छोटा और कम पॉवर वाला रडार सिस्टम है जो 4.2-4.4 गीगाहर्ट्ज फ्रीक्वेंसी माइक्रोवेव सी-बैंड में ऑपरेट होता है। इन अल्टीमीटर की हाई फ्रीक्वेंसी एयरक्राफ्ट बनाने वाली कंपनियों को छोटे एंटीना स्थापित करने में सक्षम बनाती है। यह शक्तिशाली सिग्नल उत्पन्न करते हैं जिन्हें जल्दी और सटीक रूप से रिले किया जा सकता है।
टेलिकॉम कंपनियों द्वारा 5G रोल आउट हर जगह के एविएशन सेक्टर के लिए चिंता की बात रही है। लेकिन अमेरिका में स्थिति थोड़ी दिक्कत वाली है। अमेरिका में 2021 में सी बैंड स्पेक्ट्रम रेंज पर 3.7-3.98 गीगाहर्ट्ज में 5G बैंडविड्थ की नीलामी हुई। एयरलाइन कंपनियों ने शिकायत की है कि यह बैंड 4.2-4.4 गीगाहर्ट्ज रेंज के बहुत करीब है।
मामले को लेकर एक्सपर्ट्स का कहना है कि टेलिकॉम सर्विस ऑपरेटर के तौर पर दो बैंडों के हस्तक्षेप की संभावना है ताकि 5G का वैल्यू निकाला सके और ग्राहकों को बढ़िया अनुभव प्रदान किया जा सके। सबसे सटीक रीडिंग प्राप्त करने के लिए अल्टीमीटर को भी हाई फ्रीक्वेंसी पर संचालित करने की जरूरत होती है।
भारत में अभी 5G को रोल आउट किया जाना है। 5G टेलिकॉम ऑपरेशन के लिए फ्रीक्वेंसी रेंज करीब 3.3-3.68 गीगाहर्ट्ज आंकी गई है। फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स ने टेलिकॉम डिपार्टमेंट के साथ अपनी बैठकों में फ्रीक्वेंसी के एक-दूसरे के करीब होने पर चिंता जताई है।
हालांकि टेलिकॉम डिपार्टमेंट ने भरोसा दिया है कि कोई हस्तक्षेप नहीं होगा क्योंकि कमर्शियल 5G सर्विस के लिए फ्रीक्वेंसी अल्टीमीटर द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले से कम से कम 530 मेगाहर्ट्ज दूर थीं।