ब्यूरो,
ओमिक्रॉन के संभावित खतरे को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार की ओर से तय किए गए कोरोना यात्रा नियमों पर केंद्र सरकार ने आपत्ति जताई है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कहा है कि हवाई यात्रियों को लेकर जो नियम महाराष्ट्र सरकार ने तय किए हैं, वह केंद्र के नियमों से एकदम भिन्न हैं। यह सही नहीं है। राज्यों के नियम केंद्र द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप ही रहने चाहिए।
स्वास्थ्य सचिव के पत्र में चार बिन्दुओं पर आपत्ति जताई की गई है। दरअसल, 30 नवंबर को घोषित किए गए कोरोना नियमों में महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई पहुंचने वाले सभी अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए हवाईअड्डे पर आरटीपीसीआर टेस्ट अनिवार्य किया है। जबकि केंद्र सरकार के नियमों के अनुसार सिर्फ खतरे वाले देशों से आने वाले यात्रियों को ही आरटीपीसीआर टेस्ट कराना है। या फिर जिन्होंने टीका नहीं लगाया है, उनका टेस्ट होना है।
महाराष्ट्र सरकार ने सभी अंतरराष्ट्रीय विमान यात्रियों के लिए 14 दिन की होम क्वारंटाइन भी अनिवार्य की है। भले ही उनका टेस्ट नेगेटिव क्यों न हो। जबकि केंद्र के नियमों के अनुसार खतरे वाले देशों से आने वाले यात्रियों के लिए ही इतनी लंबी होम क्वारंटाइन का प्रावधान किया गया है।
महाराष्ट्र सरकार का तीसरा अटपटा नियम यह है कि जिन अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को मुंबई से स्थानीय फ्लाइट लेनी हैं, उन्हें भी मुंबई हवाईअड्डे पर पहले आरटीपीसीआर टेस्ट कराना होगा और नेगेटिव रिपोर्ट आने पर ही वे स्थानीय उड़ान में सफर कर सकेंगे। जबकि केंद्र के नियमों के तहत अंतिम हवाईअडडे पर पहुंचने के बाद आरटीपीसीआर टेस्ट होना चाहिए।
केंद्र ने महाराष्ट्र सरकार के उस नियम पर भी आपत्ति जताई है, जिसमें अन्य राज्यों से महाराष्ट्र आने वालों के लिए 48 घंटे पूर्व नेगेटिव आरटीपीसीआर रिपोर्ट दिखाने की अनिवार्यता रखी है। दरअसल, केंद्र के नियमों के तहत स्थानीय यात्रा के लिए ऐसे नियम नहीं हैं, फिर भी यदि जरूरी हो तो यह 72 घंटे पहले होना चाहिए। केंद्र ने महाराष्ट्र से कहा है कि वह तत्काल अपने नियमों में बदलाव करे और उसे केंद्र के दिशा-निर्देशों के अनुरूप तैयार करे। साथ ही उसकी व्यापक जानकारी लोगों में साझा की जाए, ताकि लोग किसी भी प्रकार की असुविधा से बच सकें।