पीएसआई के सहयोग से कार्यशाला आयोजित

ब्यूरो,

इधर-उधर न भटकें मरीज़, जब स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध हो घर के नज़दीक” – अपर निदेशक (स्वास्थ्य) डॉ एसके उपाध्याय
हमारा प्रयास नगर के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचें चिकित्सीय व स्वास्थ्य सुविधाएं – सीएमओ

स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में पीएसआई के सहयोग से आयोजित हुई कार्यशाला

शहरी इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ करने को लेकर हुई चर्चा

जल्द ही नॉन स्लम बस्तियों में भी आशा कार्यकर्ता की होगी तैनाती

परिवार नियोजन की सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए आशा कार्यकर्ताओं का सुदृढ़ करना जरूरी

वाराणसी, 18 नवंबर 2021 । कोरोना काल में वाराणसी मंडल में स्वास्थ्य सुविधाओं को ग्रामीणों और शहरी क्षेत्रों तक पहुंचाने के लिए विभिन्न प्रयास हो रहे हैं। आशा कार्यकर्ताओं के प्रयास और ‘द चैलेंज इनिशिएटिव हेल्थ सिटीज इंडिया (टीसीआईसीएच) – पॉप्युलेशन सर्विस इंडिया (पीएसआई)’ के सहयोग से परिवार नियोजन के क्षेत्र में अच्छा कार्य हुआ है। नागरिकों को इधर-उधर न भटकना पड़े इसलिए उनके नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र पर चिकित्सीय व स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। यह कहना है वाराणसी मण्डल के अपर निदेशक (चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण) डॉ शशिकांत उपाध्याय का । डॉ शशिकांत स्वास्थ्य विभाग की पहल और पीएसआई के सहयोग से वृहस्पतिवार को मण्डल स्तरीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे । कार्यशाला का विषय था ‘राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (एनयूएचएम) व शहरी परिवार नियोजन’।
अपर निदेशक ने कहा कि हाल ही में हमारे प्रधानमंत्री ने पीएम आयुष्मान भारत हैल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर मिशन की शुरुआत की। इस योजना के अंतर्गत अगले पाँच सालों में स्वास्थ्य सुविधाओं को और सुदृढ़ किया जाएगा। वर्तमान में वाराणसी में 24 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) व 5 शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) संचालित की जा रही हैं। चंदौली में 2 शहरी पीएचसी, जौनपुर में 3 शहरी पीएचसी व गाजीपुर में 2 शहरी पीएचसी संचालित हैं। आगे आने वाले समय में शहरी इलाकों में स्वास्थ्य केन्द्रों की संख्या को बढ़ाया जाएगा जिससे नागरिकों को घर के नजदीक ही स्वास्थ्य सुविधायें मिल सकें।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ राहुल सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग का प्रयास है कि शहरी समुदाय में निवास करने वाले अंतिम व्यक्ति तक चिकित्सीय एवं स्वास्थ्य सुविधाओं को पहुंचाया जाए। शहरी स्वास्थ्य केन्द्रों में गर्भावस्था एवं शिशु जन्म देखभाल, शिशु एवं बाल स्वास्थ्य देखभाल, किशोर स्वास्थ्य देखभाल, परिवार नियोजन, गर्भनिरोधक सेवाएँ एवं अन्य प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल, संचारी रोगों का प्रबंधन, गैर संचारी रोगों की स्क्रीनिंग, संदर्भन एवं फॉलोअप, बाह्य रोगियों (ओपीडी) में सामान्य बीमारियों का उपचार आदि सेवाएं प्रदान की जा रही हैं।
इस दौरान संयुक्त निदेशक (स्वास्थ्य) डॉ मनीषा सिंह सेंगर ने कहा कि इस तरह की कार्यशाला के जरिये स्वास्थ्य सेवाओं की एक बेहतर समीक्षा हो जाती है, जिससे शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार लाने के लिए उचित रणनीति बनाई जा सके।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (एनएचएम) डॉ एके मौर्या ने कहा कि वर्तमान में जिलों में 50 हजार की आबादी पर एक शहरी पीएचसी व ढाई से पाँच लाख की आबादी पर एक शहरी सीएचसी संचालित की जा रही है। जिलों की स्लम बस्तियों में 1000 की आबादी पर एक आशा कार्यकर्ता तैनात है। लेकिन शहरी समुदाय में अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने में सरकार से एक मांग की गई कि नॉन स्लम बस्तियों में भी आशा कार्यकर्ता की तैनाती की जाए। सरकार की ओर से इस मांग को स्वीकृति मिल चुकी है। इस क्रम में नॉन स्लम बस्तियों में 2500 की आबादी पर एक-एक आशा कार्यकर्ता तैनात की जाएगी। डॉ मौर्य ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों की तरह शहरी इलाकों में हर व्यक्ति को स्वास्थ्य सुविधा का लाभ मिल सके, इस उद्देश्य से यह कदम उठाया जा रहा है।
पीएसआई से नगर समन्वयक कृति पाठक ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से टीसीआईसीएच पीएसआई के चार सालों की उपलब्धियों, चुनौतियों व रणनीति के बारे में विस्तार से बताया। उन्होने बताया कि वाराणसी में वर्ष 2017 में पीएसआई ने स्वास्थ्य विभाग के निर्देशन में परिवार नियोजन के क्षेत्र में कार्य शुरू किया था। परिवार नियोजन को लेकर वाराणसी के बेहतर परिणामों को देखते हुये उत्तर प्रदेश के 25 जिलों में रणनीति को लागू किया गया। उन्होने कहा कि सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि नियत दिवसों में परिवार नियोजन की सेवाओं को जोड़ा गया। अंतराल दिवस, खुशहाल परिवार दिवस की शुरुआत की गयी। हर माह…

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