ब्यूरो,
दिल्ली में वायु प्रदूषण के लिए नगर निगमों को भी जिम्मेदार ठहराने पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के झूठे बहाने हमें आपके विज्ञापनों पर होने वाले खर्च और कमाई का ऑडिट कराने पर मजबूत करेंगे।
दिल्ली सरकार की ओर से सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए 26 पन्नों के हलफनामे में प्रदूषण कम करने और पर्यावरण की रक्षा के लिए किए जा रहे उपायों की जानकारी दी गई। सरकार ने कोर्ट को बताया है कि वह राजधानी में प्रदूषण कम करने के लिए पूरी तरह से लॉकडाउन लगाने को तैयार है, लेकिन इस प्रकार का कदम तभी अर्थपूर्ण साबित होगा, यदि इसे पड़ोसी राज्यों के एनसीआर इलाकों में भी लागू किया जाता है।
इस दौरान केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दिल्ली और उत्तरी राज्यों में वर्तमान में पराली जलाना प्रदूषण का प्रमुख कारण नहीं है, क्योंकि प्रदूषण में इसकी हिस्सेदारी केवल 10 फीसदी है। साथ ही केंद्र ने दिल्ली में वायु प्रदूषण कम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट को तीन कदम सुझाए जिनमें ऑड-ईवन वाहन योजना की शुरुआत, दिल्ली में ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध और लॉकडाउन शामिल है।
सुप्रीम कोर्ट ने गौर किया कि धूल, भारी वाहन और उद्योग दिल्ली में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं। अगर सरकार द्वारा समय पर कदम उठाए जाते हैं तो प्रदूषण को नियंत्रित रखा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के हलफनामे पर गौर करते हुए कहा कि हलफनामा किसानों को कोसने के बारे में है और पूछा कि प्रदूषण के लिए पराली जलाना पूरा कारण कैसे है?
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि अब वह इसका ठीकरा नगर निगमों पर फोड़ रहे हैं। इस तरह के बहाने हमें आपकी कमाई और विज्ञापनों पर खर्च का ऑडिट कराने को मजबूर करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण- परिवहन, उद्योग, वाहन यातायात के अलावा कुछ क्षेत्रों में पराली जलाना है। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से कल शाम तक जवाब मांगा है कि किन उद्योगों, वाहनों और बिजली संयंत्रों को चलने से रोका जा सकता है और आप तब तक वैकल्पिक बिजली कैसे प्रदान कर सकते हैं?
सुप्रीम कोर्ट ने मामला 17 नवंबर के लिए स्थगित करते हुए केंद्र और एनसीआर क्षेत्र के राज्यों से इस बीच कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम पर विचार करने को कहा है। केंद्र द्वारा मंगलवार को होने वाली आपात बैठक में पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा के मुख्य सचिवों को भी उपस्थित रहने को कहा गया है।