सांस्कृतिक व धार्मिक नगरी वाराणसी में मार्च, अप्रैल में बूम पर रहने वाला पर्यटन कारोबार 50 दिनों में ढेर रहा है। इन दिनों में जहां करीब ढाई हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।, वहीं इनसे जुड़े करीब तीन लाख लोग किसी तरह अपनी आजीविका चला रहा रहे हैं। होटल उद्योग, ट्रैवेल एजेंट, रेस्टोरेंट्स के अलावा नाव, दुकानें पूरी तरह ठप रहीं।
यहां हर साल लाखों देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं। नवंबर से मार्च तक बनारस में पर्यटन के लिए पीक सीजन होता है। फरवरी से ही दुनिया के कई देशों में कोरोना अपना प्रभाव दिखाने लगा था, जिससे बनारस में खासकर विदेशी पर्यटकों की संख्या कम होने लगी थी। इसके अलावा मार्च के मध्य तक देशी पर्यटकों का बनारस में आवागमन हुआ। लेकिन इसके बाद से पर्यटन उद्योग अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहा है। बनारस में करीब 1000 छोटे बड़े होटल व गेस्ट हाउस हैं। इनमें करीब 25 होटल में सालाना कारोबार करीब 3000 करोड़ रुपए का होता है। करीब एक दशक पहले बनारस में दक्षिण भारत के राज्यों से काशी विश्वनाथ के दर्शन करने वाले श्रद्धालु साल भर नहीं आते थे। लेकिन अब हर महीने आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक के साथ ओडिशा, महाराष्ट्र से काफी संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं। बुद्ध सर्किट का अहम हिस्सा होने के कारण बनारस से ही काफी संख्या में पर्यटक बोधगया श्रावस्ती लुंबिनी का टूर पैकेज लेते हैं। बुद्ध सर्किट में दर्शन करने वाले श्रद्धालु श्रीलंका, चीन, जापान, ताइवान, थाईलैंड से आते हैं। बनारस में संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, रूस, स्पेन सहित अन्य यूरोपीय देशों व अन्य देशों से हर साल 30 लाख से ज्यादा पर्यटक आते हैं।