ब्यूरो नेटवर्क
झारखंड: पंचायती राज संस्थाओं को फिर मिला एक्सटेंशन, चुनाव तक काम करेंगी कार्यकारी समितियां
झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं को चुनाव होने तक के लिए एक बार फिर अवधि विस्तार दे दिया गया है। चुनाव होने तक कार्य संचालन के लिए तीन स्तर पर कार्यकारी समिति का गठन कर दिया गया है। विभिन्न स्तर पर समितियों में कार्यकारी प्रधान की भूमिका में विघटन के समय के मुखिया से लेकर जिला परिषद अध्यक्ष को रखा गया है। इसके अलावा उपाध्यक्ष और सदस्यों के रूप में सरकारी अधिकारी भी नामित किए गए हैं।
इस संबंध में पंचायती राज विभाग की ओर से मंगलवार को अधिसूचना जारी कर दी गई है। इस प्रकार अब पंचायती राज अधिनियम के तहत काम चलते रहेंगे। अधिसूचना के अनुसार ग्राम पंचायत कार्यकारी समिति, पंचायत समिति कार्यकारी समिति और जिला परिषद कार्यकारी समिति तीनों स्तर के लिए अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्य उन सभी शक्तियों का प्रयोग करेंगे, जो अधिनियम के अधीन मुखिया, उप मुखिया, वार्ड सदस्य, प्रमुख, उप प्रमुख, पंचायत समिति सदस्य, जिला परिषद अध्यक्ष और जिला परिषद उपाध्यक्ष तथा जिला परिषद सदस्यों को मिला हुआ है।
पंचायत सचिव, प्रखंड विकास पदाधिकारी और उप विकास आयुक्त सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी पूर्व की तरह अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन करेंगे। त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं का चुनाव 2015 में हुआ था। पांच वर्षों के कार्यकाल के बाद संस्थायें विघटित हो गईं। विघटन के बाद बीते सात जनवरी को अधिसूचना जारी कर संस्थाओं को छह माह का अवधि विस्तार दिया गया। लेकिन कोरोना काल की वजह से राज्य में पंचायत चुनाव नहीं हो सका।
से में अवधि विस्तार के लिए राज्यपाल की स्वीकृति से सरकार झारखंड पंचायत राज (संशोधन) अध्यादेश 2021 लेकर आई। इस बार अवधि विस्तार तब तक के लिए दिया गया है जब तक त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव संपन्न न हो जाए।
तीन स्तर पर गठित की गई समितियां
ग्राम पंचायत कार्यकारी समिति (सामान्य क्षेत्र)
अध्यक्ष : कार्यकारी प्रधान, ग्राम पंचायत विघटन तिथि को कार्यरत मुखिया होंगे।
उपाध्यक्ष- ग्राम पंचायत विघटन तिथि को कार्यरत उप मुखिया को बनाया जाएगा।
सदस्य- विघटित पंचायत के सभी निर्वाचित वार्ड सदस्य, प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी, प्रखंड समन्वयक, अंचल निरीक्षक और बीडीओ द्वारा नामित पंचायत क्षेत्र का निवासी और राज्य, केंद्र, सेना, सार्वजनिक उपक्रम वर्ग तीन से अन्य श्रेणी में सेवानिवृत्त कोई एक व्यक्ति होगा। ऐसी ही अनुसूचित क्षेत्र में भी होगी, लेकिन उसमें एक सदस्य ग्राम पंचायत के अंतर्गत सभी पारंपरिक प्रधान (चाहे उन्हें जिस नाम से जाना जाता हो) को शामिल किया जाएगा।
पंचायत समिति कार्यकारी समिति
इस समिति के अध्यक्ष पंचायत समिति के कार्यरत प्रमुख होंगे। उप प्रमुख उपाध्यक्ष होंगे। विघटन के समय का एक सदस्य शामिल किया जाएगा। तीन अन्य सदस्यों में संबंधित प्रखंड क्षेत्र के जिला पंचायत राज पदाधिकारी, अनुमंडल पदाधिकारी, प्रखंड क्षेत्र के अंचल पदाधिकारी होंगे।
जिला परिषद कार्यकारी समिति
इसमें जिला परिषद विघटन की तिथि के समय के जिला परिषद अध्यक्ष को कार्यकारी समिति का अध्यक्ष सह कार्यकारी प्रधान बनाया जाएगा। जो जिला परिषद के उपाध्यक्ष थे उन्हें उपाध्यक्ष बनाया गया है। जिला परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी, जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के निदेशक और परियोजना निदेशक आईटीडीए या उनके नहीं रहने पर जिला कल्याण पदाधिकारी सदस्य बनाये गये हैं।
नियमानुसार ग्राम सभा का आयोजन किया जा सकेगा। इसकी अध्यक्षता पारंपरिक प्रधान या ग्राम पंचायत के लिए बनी कार्यकारी समिति के प्रधान द्वारा किया जा सकेगा
ये कार्य भी कर सकेंगी समिति
तीनों स्तरों के लिए गठित कार्यकारी समिति के गैर सरकारी सदस्यों को बैठक में भाग लेने के लिए यात्रा भत्ता नियमानुसार देय होगा। अन्य कोई मानदेय या सुविधाएं नहीं मिलेंगी।
कार्यकारी समिति में नामित सरकार के प्रतिनिधि समिति की बैठक में उपस्थित रहेंगे, लेकिन इन्हें समिति के निर्णय में मतदान का अधिकार नहीं रहेगा।
यदि कार्यकारी समिति का कोई अध्यक्ष या उपाध्यक्ष बिना समुचित कारण के लगातार तीन बैठकों में अनुपस्थित रहेगा या जानबूझकर अपने कर्तव्य को करने से मना करेगा तो उसके खिलाफ विधि पूर्वक दोषी पाये जाने पर पद से हटाने की कार्यवाही की जा सकेगी
कार्यकारी समिति की व्यवस्था त्रिस्तरीय पंचायत राज्य संस्थाओं के आम निर्वाचन संपन्न होने के बाद स्वत: समाप्त हो जाएगी
तीनों स्तर पर कार्यकारी समिति का गठन संबंधित जिले के उपायुक्त करेंगे।
कार्यकारी समिति के गठन कार्य प्रक्रिया या किसी भी पहलू में आने वाली कठिनाई को दूर करने के लिए पंचायती राज विभाग की ओर से दिशा निर्देश निर्गत किया जाएगा