केजीएमयू में आयुर्वेद पद्धति से भी कोरोना मरीजों को इलाज मुहैया कराया जाएगा। आयुष मंत्रालय ने केजीएमयू को गाइडलाइन भेजी है। केजीएमयू कुलपति डॉ. एमएलबी भट्ट ने सोमवार को यह जानकारी दी।
आरोग्य भारती की ओर से आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार में देश भर के विभिन्न पद्धति के डॉक्टरों ने कोरोना वायरस के इलाज पर अपने विचार रखे। कुलपति डॉ. एमएलबी भट्ट ने कहा कि आयुष मंत्रालय की गाइड लाइन को मंजूरी के लिए एथिकल कमेटी में रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि यूपी में तीन मार्च को कोविड-19 का पहला मरीज मिला था। प्रदेश की 26 प्रयोगशालाओं में कोरोना की जांच की जा रही है। 12 घंटे में रिपोर्ट दी जा रही है। दिल्ली स्थित चौधरी ब्रह्मप्रकाश चरक आयुर्वेदिक संस्थान की निदेशक व प्रिंसिपल डॉ. विदुला गुज्जरवार ने कहा कि सरकार के सहयोग से संस्थान में 114 कोरोना मरीजों को आयुर्वेद दवाओं से इलाज मुहैया कराया जा रहा है। इसमें आयुर्वेद की शंसमनी वटी, नागरादि कषाय व आमलकी चूर्ण समेत अन्य दवाएं दी जा रही हैं। इलाज के बाद 14 मरीजों की रिपोर्ट निगेटिव आ चुकी है। बाकी की तबीयत में भी सुधार आ रहा है।
पुणे के प्रोफेसर वैद्य सुरेश पाटणकर ने कहा कि जलनेति एवं भ्त्रिरका प्राणायाम सेहत के लिए फायदेमंद है। मास्क लगाएं। यह फेफड़े को बीमार पड़ने से बचा सकता है। प्राणायाम से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ. अशोक वाष्र्णेय ने बताया कि आयुर्वेद चिकित्सा का प्रयोग देश के साथ-साथ विदेशों में भी बढ़ गया है। तिब्बिया कॉलेज में द्रव्यगुण विभाग की डॉ. शालिनी वाष्र्णेय ने कहा कि उनके यहां आयुर्वेद से 95 मरीजों का इलाज चल रहा है। इन मरीजों को तीन हिस्सों में बांटा गया है। लक्षण, बिना लक्षण या फिर गंभीर मरीजों की दिनचर्या, आहार व इलाज तय किया है। योग भी कराया जा रहा है।