लखनऊ में कॉल सेंटर खोल बेरोजगारों को ठगने वाले गिरोह का भंडाफोड़, जानें मामला

ब्यूरो,

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कॉल सेंटर खोलकर बेरोजगारों को ठगने वालों गिरोह का भंडाफोड़ हो गया है. बता दें कि टेलीकॉम कंपनी से लेकर निजी बैंक और सॉफ्टवेयर कंपनी में नौकरी लगवाने का दावा कर बेरोजगारों को ठगने वाला ये गिरोह पुलिस के हत्थे चढ़ गया. सोमवार देर रात पुलिस ने फर्जी कॉल सेंटर बनाकर लोगों को लूटने वालों के यहां छापा मारा. किराए के मकान में चल रहे इस कॉल सेंटर में सरगना समेत कई युवतियां मिली. जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने फर्जी कॉल सेंटर से बड़ी मात्रा में कंप्यूटर समेत अन्य इलेक्ट्रानिक सामान बरामद किए हैं. कंप्यूटर में मौजूद डाटा को चेक किया जा रहा है. पुलिस ने पूरे मामले में 9 युवतियों समेत कुल 11 लोगों को गिरफ्तार किया है.

एसीपी क्राइम प्रवीण मलिक ने बताया कि गिरोह का सरगना अलीगढ़ निवासी विशाल और लखीमपुर मितौली निवासी अनुज पाल है. अलीगंज में किराए के मकान में आरोपियों ने कॉल सेंटर खोल रखा था. इन लोगों ने गिरफ्तार की गई लड़कियों को 8 हजार रुपये महीने की सैलरी पर रखा था. कॉल सेंटर में काम करने वाली इन लड़कियों को सरगना विशाल और अनुज कुछ मोबाइल नंबर देते थे. जिन पर ये लड़कियां फोन कर उन लोगों को नौकरी का लालच देती थी. पुलिस ने फर्जी कॉल सेंटर से 17 मोबाइल फोन, 12 कंप्यूटर, प्रिंटर और एलईडी टीवी और पेन ड्राइवर बरामद की है. पुलिस के मुताबिक बेरोजगारों को ठगने के लिए पूरे मामले के मास्टरमाइंड विशाल और अनुज जॉब सर्च साइट पर अपलोड किए जाने वाले रिज्यूम से डाटा चुराते थे. एसीपी के मुताबिक रिज्यूम में नौकरी के लिए आवेदन करने वाले व्यक्ति के बारे में पूरी डिटेल होती है. जिसके बाद अनुज और विशाल इन लोगों को नंबर कॉल सेंटर में काम करने वाली लड़कियों को देते थे. जो उस व्यक्ति को कॉल कर रिज्यूम चुने जाने का दावा करती थी. इसके बाद फोन उठाने वाले शख्स से रजिस्ट्रेशन के लिए 100 रुपए जमा करने के लिए कहा जाता था. फॉर्म भरने के लिए उन्हें एक लिंक भेजा जाता था. इस लिंक पर क्लिक करते ही संबंधित व्यक्ति के बैंक अकाउंट, ट्रांजेक्शन आईडी से लेकर सीवीवी तक सारी डिटेल इन लोगों के पास आ जाती थी. इसके बाद पूरे मामले का सरगना अनुज पाल ऑनलाइन इंटरव्यू के बहाने फोन करता था. इस दौरान ही अनुज चिन्हित व्यक्ति के बैंक खाते को ऑपरेट करता था. वहीं बातों में उलझा कर मोबाइल पर आया ओटीपी पूछने के बाद अनुज खातों से रुपए अलग-अलग ई-वॉलट में ट्रांसफर कर लेता था. अनुज ने पुलिस को बताया कि वह लोग अक्सर 10 से 15 हजार के बीच ही एक व्यक्ति के अकाउंट से निकालते थे. एसीपी के मुताबिक अनुज और विशाल ठगी के लिए प्री एक्टिवेटेड सिम का इस्तेमाल करते थे. प्री एक्टिवेटेड सिम 600 रुपये में ठगों को बेचा जाता था. एक सिम से 10 कॉल करने के बाद पुराना सिम हटा कर नये सिम का इस्तेमाल ठग करने लगते थे.

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