ब्यूरो,
झारखंड के डीजीपी नीरज सिन्हा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राज्य में बचे हुए नक्सलियों को कहा कि राज्य सरकार आत्मसमर्पण का अच्छा मौका दे रही है समय रहते मुख्यधारा में वापस लौट जाएं नहीं तो पुलिस का काम रक्षा करना है. इस लिए एनकाउंटर करने से भी पीछे नहीं हटेंगे. इसके अलावा डीजीपी ने कहा कि भले ही बचे हुए नक्सलियों के पास आधुनिक तकनीकी के अच्छे हथियार के बल पर राज्य में हावी होने की कोशिश कर रहे हो पर पुलिस उनके सारे मंसूबों पर पानी फेर देगा. राज्य के कुछ संगठन पैसा जुटाने के लिए राज्य में नशीला पदार्थ अफीम की खेती करना चाहते हैं. जो उनको करने नहीं दिया जाएगा.
पुलिस मुख्यालय में आयोजित इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान डीजीपी ने 13 से लेकर 16 जुलाई के बीच राज्य में हुए नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई पर भी बात किया. उन्होंने कहा कि गुमला और खूंटी में हुए दोनों एनकाउंटर बेहतरीन रहे है. इससे स्थानीय उग्रवादी संगठन भाकपा माओवादी और पीएलएफआई को पुलिस प्रशासन ने बड़ा झटका दिया है. डीजीपी ने इस एनकाउंटर में मारे 15 लाख का इनामी बुद्धेश्वर उरांव जो भाकपा माओवादी रीजनल कमेटी का सदस्य को बीते 15 से 20 सालों का सबसे आम एनकाउंटर बताया है. 10 लाख का इनामी शनिचर सुरीन जो पीएलएफआई का जोनल कमांडर था. उसके ढेर होना भी बड़ी कामयाबी यों में से एक है.
दरअसल बीते 13 जुलाई को 15 लाख का इनामी बुद्धेश्वर के गुमला के कुरूमगढ़ के इलाके में पड़ने वाले जंगल में छिपे होने की खबर मिली थी. इसके बाद तैयार सुरक्षाबलों ने माओवादियों के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया. सुरक्षाबलों ने 15 तारीख को बुद्धेश्वर उरांव पता कर अंत में उसको मुठभेड़ में मार गिराया. मुठभेड़ के बाद पुलिस प्रशासन ने उनके पास से दो इंसास राइफल, आईडी और एक एके-47 जैसे हथियार बरामद किया. बुद्धेश्वर के एनकाउंटर के अगले दिन 16 जुलाई को खूंटी में उग्रवादी शनिचर सुरीन को मार गिराया.