Saharanpur News: करीब 5-6 साल पहले सहारनपुर के कंपनी बाग में आम के पेड़ के साथ अनोखा प्रयोग किया गया था. इसका मकसद आम की नई-नई किस्म पर शोध करना था.
सहारनपुर. एक बाग में 121 अलग-अलग किस्म के आम के बारे में तो आपने कई बार सुना होगा. मगर सहारनपुर (Saharanpur) के कंपनी बाग में एक अनोखा पेड़ चर्चा का विषय बना हुआ है. इस पेड़ पर 121 अलग-अलग किस्म के आम लगे होने के बारे में सुनकर आप चकित रह जाएंगे. करीब 5-6 साल पहले कंपनी बाग में यह अनोखा प्रयोग किया गया था, जिसका मकसद आम की नई-नई किस्म पर शोध करना था.
आपको बता दें की आम उत्पादन के मामले में सहारनपुर का नाम अग्रणी है. जिले की फल पट्टी में आम की बागवानी जमकर की जाती है. जिस कारण सहारनपुर में आम की नई-नई किस्म पर शोध भी हुए हैं. करीब 5-6 साल पहले सहारनपुर के कंपनी बाग में आम के पेड़ पर अनोखा प्रयोग किया गया था. उस समय औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र के तत्कालीन संयुक्त निदेशक राजेश प्रसाद ने आम के एक ही पेड़ पर 121 किस्म के आम की कलम (ब्रांच) लगाई थीं.
एक तरफ यह अनोखी कहानी आम के सीजन में चर्चा का विषय बनी है, वहीं हर कोई एक ही पेड़ पर सौ से भी ज्यादा विभिन्न प्रजातियों के आमों को देखकर हैरान हो रहा है. यही नहीं कुछ लोग तो आम लेने के लिए बाग में भी पहुंच रहे हैं.
शोध के लिए जिस पेड़ को चुना गया था, उसकी उम्र करीब 15 वर्ष थी. आम के देशी पेड़ की शाखाओं पर अलग-अलग किस्म के आमों की ब्रांच (कलम) लगाई गई थी. जिसके बाद पेड़ की देखरेख के लिए अलग से नर्सरी इंचार्ज की नियुक्ति की थी. अब इस पेड़ पर सभी ब्रांच पर अलग-अलग तरह के आम लगते हैं.
आपको बता दें की इस पेड़ पर लगे 121 किस्म के आमों को उनकी मशहूर प्रजाति जैसे दशहरी, लंगड़ा, चौंसा, रामकेला, आम्रपाली के साथ कुछ अपने नाम भी दिए गए है जैसे सहारनपुर अरुण, सहारनपुर वरुण, सहारनपुर सौरभ, सहारनपुर गौरव, सहारनपुर राजीव, लखनऊ सफेदा, टॉमी ऐट किंग्स, पूसा सूर्या, सैंसेशन, रटौल, कलमी मालदा, बांबे, स्मिथ, मैंगीफेरा जालोनिया, गोला बुलंदशहर, लरन्कू, एलआर स्पेशल, आलमपुर बेनिशा, असौजिया देवबंद.
बीपी राम, (संयुक्त निदेशक, औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र) ने न्यूज़18 से खास बातचीत में बताया किआम के पेड़ पर शोध कार्य किए गए हैं. जिस पर अलग-अलग किस्म के आम की ब्रांच लगाई गई थी. अब पेड़ पर अलग-अलग किस्म के आम लगते हैं. अब नई प्रजातियों पर भी शोध कार्य चल रहे हैं, जिससे बेहतर किस्म के आम की पैदावार की जा सके.