Allahabad High Court News: हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि याची यह मांग नहीं कर सकता कि कुछ लोगों की जमीन वापस की गयी है तो उसकी भी वापस की जाये. अनुच्छेद-14 के अंतर्गत समानता का अधिकार में गलत व अवैध लाभ पाने का अधिकार शामिल नहीं है.
प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि अधिगृहीत जमीन का कब्जा ले लिया गया हो तो भले ही उसका उपयोग न किया गया हो, भू-स्वामी वापसी की मांग करने का हकदार नहीं है. हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार चाहे तो अधिगृहीत जमीन का अधिग्रहण रद्द कर सकती है और जिलाधिकारी इस कार्यवाही में किसान को हुए नुकसान की भरपाई करेगा. हाईकोर्ट ने इसी के साथ वर्षो पहले अधिगृहीत जमीन की खेती के लिए वापस करने की मांग मे दाखिल याचिका खारिज कर दी है.
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि याची यह मांग नही कर सकता कि कुछ लोगों की जमीन वापस की गयी है. उसकी भी वापस की जाये. कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद-14 के अंतर्गत समानता का अधिकार में गलत व अवैध लाभ पाने का अधिकार शामिल नहीं है. यह आदेश तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजय यादव और न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की खंडपीठ ने विजय पाल व 4 अन्य की याचिका पर दिया है.
गौरतलब है कि याची की गौतमबुद्धनगर, दादरी के थापखेरा गाव की जमीन का दशकों पहले अधिग्रहण किया गया. याची की आपत्ति अस्वीकार कर दी गयी. उसका कहना था कि वह जाटव जाति का किसान है. इस जमीन के अलावा उसके पास दूसरी जमीन नहीं है. कुछ लोगों की वापस की गयी है. उसकी भी वापस की जाये. कोर्ट ने कहा कि देरी से मांग के आधार पर ही याचिका खारिज होने योग्य है और किसी को गलत आदेश से जमीन वापस की गयी है तो उस गलती का लाभ नही मांगा जा सकता. अधिगृहीत जमीन पर कब्जा लेने के बाद उसकी वापसी नहीं की जा सकती. कोर्ट ने सुनवाई के बाद याचिका खारिज कर दी है.