लखनऊ: उत्तर प्रदेश के नोएडा में धर्मांतरण का खुलासा होने के बाद उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार काफी सख्त नजर आ रही है. धर्मांतरण का मामला इतना संजीदा है की खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसकी मॉनिटरिंग व्यक्तिगत स्तर पर कर रहे हैं. सीएम योगी आदित्यनाथ ने जांच कर रही एजेंसियों को सख्त निर्देश दिया है की देश की सुरक्षा और आस्था के खिलाफ साजिश करने वालों से सख्ती से निपटें. मुख्यमंत्री इस मामले को अपने स्तर से इसलिए देख रहे हैं क्योंकी धर्मांतरण मामलों के तार आतंकी संगठनों से जुड़े होने के प्रमाण मिले.
जांच एजेसियों ने प्रमाण के साथ दावा किया है कि धर्मांतरण का मास्टरमाइंड उमर गौतम देश के 24 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में धर्मांतरण करा चुका. जांच एजेंसियों ने ये स्पष्ट किया है की हिंदू ही नहीं ईसाई, जैन और सिख परिवारों के बच्चों का भी बड़ी संख्या में धर्मांतरण करा चुका है. धर्मांतरण की जांच कर रही एजेंसियों को विदेशी फंडिंग और टेरर फंडिंग के भी प्रमाण मिले हैं. धर्मातरित मूक बधिर बच्चों का जेहादी गतिविधियों में इस्तेमाल किए जाने की साजिश थी.
जांच एजेंसियों ने अपने रिपोर्ट में दावा किया की मास्टरमाइंड उमर गौतम के निशाने पर खासतौर पर मूक बधिर बच्चे थे. इन बच्चों को अलग तकनीक से पढ़ाने के लिए धर्मांतरण गिरोह ने अपनी पूरी एक टीम बना रखी थी. ये टीचर ही धर्मांतरण की बुनियाद रचते थे. बताया जा रहा है कि दिल्ली के बाटला हाउस को उमर गौतम ने अपनी गतिविधियों का मुख्य केंद्र बनाया था.
बीते सोमवार को नोएडा में धर्म परिवर्तन कराने के आरोप में दो मौलानाओं को एटीएस ने गिरफ्तार किया है. जिसके बात तो धर्मांतरण करवाने वालों के पूरे संगठन के बारे में जानकारी सामने आई है, इतना ही नहीं धर्मांतरण मामले में टेरर फंडिंग की भी बात सामने आ रही है. धर्मांतरण कराने वाले इन मौलानाओं के नाम मोहम्मद उमर गौतम और मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी है. खास बात ये है कि उमर गौतम ने खुद लगभग 35 साल पहले 20 साल की उम्र में धर्मांतरण कर हिंदू धर्म छोड़ इस्लाम धर्म अपनाया था. इसके बाद से वो दिल्ली के जामिया नगर इलाके में इस्लामिक दावा सेंटर चला रहा था. यूपी के एडीजी प्रशांत कुमार ने इस बात की पुष्टि की है कि गौतम धर्म बदलकर मुस्लिम बना था.