मिडिल-क्लास का होना, वरदान से कम नहीं

मिडिल-क्लास का होना, वरदान से कम नहीं
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मिडिल-क्लास का होना भी
किसी वरदान से कम नहीं है.
कभी बोरियत नहीं होती.

  जिंदगी भर कुछ ना कुछ आफत
       लगी ही रहती है.

मिडिल क्लास वालों की स्थिति 
    सबसे दयनीय होती है,

न इन्हें तैमूर जैसा बचपन नसीब होता है
न अनूप जलोटा जैसा बुढ़ापा, फिर भी
अपने आप में उलझते हुए
व्यस्त रहते हैं.

   मिडिल क्लास होने का भी 
       अपना फायदा है.

चाहे बी एम डब्ल्यू का भाव बढ़े या आडी का
या फिर नया आई फोन लाँच हो जाये,
कोई फर्क नहीं पड़ता.

    मिडिल क्लास लोगों की 

आधी जिंदगी तो झड़ते हुए बाल
और बढ़ते हुए पेट को रोकने में ही
चली जाती है.

इन घरों में पनीर की सब्जी तभी बनती है,
जब दूध गलती से फट जाता है, और
मिक्स-वेज की सब्ज़ी भी तभी बनती हैं
जब रात वाली सब्जी बच जाती है.

  इनके यहाँ फ्रूटी, कोल्ड ड्रिंक 

एक साथ तभी आते हैं , जब घर में कोई
बढ़िया वाला रिश्तेदार आ रहा होता है.

   मिडिल क्लास वालों के यहाँ
        कपड़ों की तरह ही 
    खाने वाले चावल की भी 
      तीन वेराईटी होती है ~
डेली, कैजुअल और पार्टी वाला.

छानते समय चायपत्ती को दबा कर
लास्ट बून्द तक निचोड़ लेना ही
मिडिल क्लास वालों के लिए
परमसुख की अनुभुति होती है.

ये लोग रूम फ्रेशनर का इस्तेमाल 
         नहीं करते, सीधे 
     अगरबत्ती जला लेते हैं.

मिडिल क्लास भारतीय परिवार के
घरों में गेट टुगेदर नहीं होता,
यहाँ ‘सत्यनारायण भगवान की’
कथा होती है.

  इनका फैमिली बजट इतना

सटीक होता है, कि सैलरी अगर
31 के बजाय 1 को आये, तो
गुल्लक फोड़ना पड़ जाता है.

     मिडिल क्लास लोगों की 
        आधी ज़िन्दगी तो 
   "बहुत महँगा है"  बोलने में ही 
           निकल जाती है.

    इनकी भूख भी ... 

होटल के रेट्स पर डिपेंड करती है.
दरअसल ….
महंगे होटलों की मेन्यू-बुक में
मिडिल क्लास इंसान
‘फूड-आइटम्स’ नहीं बल्कि
अपनी “औकात” ढूंढ रहा होता है.

         इश्क-मोहब्बत तो 
       अमीरों के चोंचले हैं.
  मिडिल क्लास वाले तो सीधे 
         "ब्याह" करते हैं.

      इनके जीवन में कोई
      वैलेंटाइन डे नहीं होता.
   जिम्मेदारियाँ  जिंदगी भर

बजरंग-दल सी पीछे लगी रहती हैं.

 मध्यम वर्गीय दूल्हा-दुल्हन भी 

मंच पर ऐसे बैठे रहते हैं मानो जैसे
किसी भारी सदमे में हों.

      अमीर शादी के बाद
  हनीमून पर चले जाते हैं , और 

मिडिल क्लास लोगों की शादी के बाद
टेन्ट, बर्तन वाले ही
इनके पीछे पड़ जाते हैं.

     मिडिल क्लास बंदे को 
   पर्सनल बेड और रूम भी 

शादी के बाद ही अलाॅट हो पाता है.

मिडिल क्लास … बस ये समझ लो कि
जो तेल सर पे लगाते हैं , वही तेल
मुँह पर भी रगड़ लेते हैं.

एक सच्चा मिडिल क्लास आदमी
          गीजर बंद करके 
   तब तक नहाता रहता है 
     जब तक कि नल से 

ठंडा पानी आना शुरू ना हो जाए.

रूम ठंडा होते ही ए सी बंद करने वाला
मिडिल क्लास आदमी चंदा देने के वक्त
नास्तिक हो जाता है, और
प्रसाद खाने के वक्त आस्तिक.

मिडिल क्लास को आज तक बजट में
वही मिला है, जो अक्सर हम
मंदिर में बजाते हैं.

    फिर भी हिम्मत करके 
      मिडिल क्लास आदमी 
         पैसा बचाने की
   बहुत कोशिश करता है,
             लेकिन 
  बचा कुछ भी नहीं पाता.

हकीकत में मिडिल क्लास की हालत
पंगत के बीच बैठे हुए
उस आदमी की तरह होती है
जिसके पास पूड़ी-सब्जी
चाहे इधर से आये, चाहे उधर से
उस तक आते-आते
खत्म हो जाती है.

  मिडिल क्लास के सपने भी
         अपनी तरह के होते हैं.

टंकी भर गई है, मोटर बंद करना है
गैस पर दूध उबल गया है,
चावल जल गया है,
ऐसे ही सपने आते हैं.

 दिल में कितने सपने लिए 
     बस चलता ही जाता है 
             चलता ही जाता है.।

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