कोरोना संकट के दौरान सामने आईं चुनौतियों को भारतीय कंपनियों और संस्थानों ने अवसर के रूप में तब्दील किया है। पीपीई, मास्क और वेंटिलेटर की अपनी जरूरतें पूरी करने को भारत ने ‘मेक इन इंडिया’ के तहत बड़ी छलांग लगाई है। भारत पीपीई निर्माण में चीन के बाद दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। उम्मीद है कि अगले छह महीने में भारत चीन को भी पीछे छोड़ सकता है।
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने ‘हिन्दुस्तान’ से कहा कि हम चीन के बाद पीपीई का सबसे ज्यादा निर्माण कर रहे हैं लेकिन हमने अभी निर्माण शुरू किया है। अगले छह महीने में भारत 250 निर्माताओं के जरिए चीन को पीछे छोड़ देगा। अब हम निर्यात भी करेंगे और एक बड़े वैश्विक किरदार के रूप में उभरेंगे। पूरी दुनिया को पीपीई चाहिए और भारत यह पूरा करेगा।
भारत आईआईटी सहित अन्य संस्थानों द्वारा किए जा रहे इनोवेशन से भी दुनिया को अवगत करा रहा है। विभिन्न देशों में अपने मिशन के जरिए संस्थानों के इनोवेशन को प्रमोट कर रहा है। आईआईटी कानपुर ने कोरोना किलर बॉक्स तैयार किया है। इससे सब्जियां, फल, चीनी, दूध, दालें, मोबाइल, रुपये और चाबी आदि को मिनटों में पराबैंगनी किरणों से साफ किया जा सकता है। आईआईटी मद्रास के इनक्यूबेटेड स्टार्ट-अप ने अस्पतालों, क्लीनिकों से उत्पन्न कचरे से कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए एक ‘स्मार्ट बिन सिस्टम’ विकसित किया है।
वहीं, भारत को 75,000 वेंटिलेटर की आवश्यकता थी। पहले से उपलब्धता का आकलन करने के बाद 61,000 वेंटिलेटर की कमी पूरी की जानी थी। लगभग 60,000 वेंटिलेटर आपूर्ति करने के लिए नौ घरेलू निर्माताओं को चुना गया। भारत को बाहर से केवल 1,000 आर्डर करने पड़े। इसी तरह कुल 20 मिलियन पीपीई की आवश्यकता थी। इसमें भी 35 घरेलू निर्माताओं को 13 मिलियन पीपीई की आपूर्ति करने को कहा गया है।