पश्चिम बंगाल में सांस-इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी के 92,000 रोगी मिले, ममता सरकार ने बदली रणनीति ,कोरोना की आहट?

पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी के 92,000 से अधिक मामले और सांस रोग के 870 मामलों की पहचान की है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि कोविड-19 के मद्देनजर ये मामले शुरुआती चेतावनी के संकेत हो सकते हैं। ममता बनर्जी ने कहा कि ये परिणाम उनकी सरकार द्वारा बीते एक महीने से अधिक समय में किए गए घर-घर निगरानी के प्रयासों का फल है। उन्होंने कहा कि यह अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक कि यह कोरोना वायरस परास्त नहीं हो जाता। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा कि बीते एक महीने से भी अधिक समय से घर-घर जांच का एक गहन अभियान छेड़ा गया, जिसमें श्वसन संबंधी गंभीर बीमारी (एसएआरआई) तथा इन्फ्लूऐंजा के मामलों की पहचान की जा रही है।

कोविड-19 महामारी से कथित रूप से अकुशलता से निपटने को लेकर आलोचना से घिरी पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने परीक्षण कई गुना बढ़ाकर, कोरोना वायरस मौतों पर ऑडिट समिति के क्षेत्राधिकार में बदलाव लाकर और लॉकडाउन उपायों को कड़ा करके रणनीति बदली है। तृणमूल के शीर्ष नेताओं के अनुसार, रणनीति में बदलाव लोगों में बढ़ते असंतोष, कम परीक्षण और कमजोर निगरानी को लेकर केंद्र की टीमों की तीखी टिप्पणी जैसे कारणों के चलते किया गया। यह तृणमूल के लिए अगले साल विधानसभा चुनाव में महंगा साबित हो सकता था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि सात अप्रैल से तीन मई के बीच 5.57 करोड़ से अधिक घरों का दौरा किया गया। इस दौरान एसएआरआई से पीड़ित 872 लोग तथा एन्फ्लूएंजा से पीड़ित 91,515 लोगों मिले। उन्हें आवश्यक स्वास्थ्य सलाह दी गई है। यह अभियान विशेष तौर पर प्रशिक्षित आशा कार्यकर्ता तथा स्वास्थ्य कार्यकर्ता चला रहे हैं। इस अवधि में 375 लोगों को राज्य के विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों में भर्ती करवाया गया, उनमें से 62 कोविड-19 से संक्रमित मिले।

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