वुहान लैब से पनपा कोरोना या जानवरों से फैला, क्या चीन कोरोना को लेकर सच छिपा रहा है? इन्हीं सभी सवालों पर से पर्दा उठाने और कोरोना वायरस की उत्पत्ति की जांच को लेकर शुरू हुईं कवायदों का भारत ने समर्थन किया है। भारत ने शुक्रवार को कोविड-19 की उत्पत्ति को लेकर आगे की जांच के आह्वान का समर्थन किया और इस तरह के अध्ययन के लिए चीन और अन्य पक्षों के सहयोग की मांग की। बता दें कि इससे एक दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने खुफिया एजेंसियों को इस मुद्दे पर 90 दिन के भीतर एक जांच रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।
भारत ने कोविड-19 की उत्पत्ति को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की अगुवाई में शुरू वैश्विक अध्ययन को पहला महत्वपूर्ण कदम बताते हुए शुक्रवार को कहा कि इसके बारे में ठोस निष्कर्ष तक पहुंचने एवं आगे आंकड़ा जुटाने के लिये अगले चरण के अध्ययन की जरूरत है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने अपने बयान में कहा कि डब्ल्यूएचओ द्वारा कोविड-19 की उत्पत्ति के बारे में वैश्विक अध्ययन पहला महत्वपूर्ण कदम है। यह इस बारे में ठोस निष्कर्ष तक पहुंचने एवं आगे और आंकड़े जुटाने के लिये अगले चरण के अध्ययन की जरूरत को रेखांकित करता है। बागची ने चीन का नाम लिए बगैर कहा कि डब्ल्यूएचओ रिपोर्ट पर आगे की कार्रवाई और आगे अध्ययन में सभी के सहयोग एवं समझ की जरूरत है ।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने बुधवार को खुफिया एजेंसियों से कहा कि वह कोरोना वायरस की उत्पत्ति की जांच को लेकर प्रयास और तेज करें। बाइडन ने एजेंसियों को कहा है कि 90 दिन के भीतर वायरस की उत्पत्ति स्थल का पता करके रिपोर्ट दें। उन्होंने कहा कि कोरोना किसी संक्रमित पशु से संपर्क में आने से इंसानों में फैला या इसे किसी प्रयोगशाला में बनाया गया, इस सवाल पर किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए अभी पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं। राष्ट्रपति ने चीन से अपील की कि वह अंतरराष्ट्रीय जांच में सहयोग करे। उन्होंने अमेरिकी प्रयोगशालाओं को भी जांच में सहयोग करने को कहा।
हालांकि, अमेरिका के इस कवायद पर चीन लाल हो गया। चीन ने गुरुवार को अमेरिका के जो बाइडन प्रशासन पर कोरोना वायरस के उद्गम की दोबारा जांच कराने की मांग कर अपनी जिम्मेदारी से बचने और राजनीति करने का आरोप लगाया। इस वायरस का सबसे पहले पता चीन में वर्ष 2019 के आखिर में लगा था। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन का आदेश दिखाता है कि अमेरिका तथ्यों और सच्चाई की परवाह नहीं करता और न ही उसकी रुचि वैज्ञानिक तरीके से वायरस के उद्गम का पता लगाने में है।
गौरतलब है कि पिछले साल मार्च में विश्व डब्ल्यूएचओ ने कोविड-19 की उत्पत्ति को लेकर चीन के वैज्ञानिकों के साथ संयुक्त रूप से लिखी गई एक रिपोर्ट जारी की जिसमें कहा गया था कि इसके किसी प्रयोगशाला में शुरू होने की संभावना बेहद कम है। डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञों द्वारा चीन में महामारी के केंद्र वुहान सहित अन्य स्थानों पर अभियान के संचालल के तौर तरीकों तथा बीजिंग से पर्याप्त सहयोग की कमी को लेकर अमेरिका और कुछ अन्य देशों ने चिंता जताई है।
खबरों के अनुसार, डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अदहानोम गेब्रिएसस ने भी इसपर सहमति व्यक्त की है कि वायरस की उत्पत्ति को लेकर आगे और अध्ययन की आवश्यकता है। ग्लोबल स्टडी अमेरिका के लिए जहां खुशी की बात है, वहीं चीन के लिए दुख की। क्योंकि अमेरिका भी चाहता है कि कोरोना का सच सामने आए। इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने देश की खुफिया एजेंसियों से घातक कोविड-19 वैश्विक महामारी के उद्भव का पता लगाने के अपने प्रयासों को और अधिक तेज करने तथा 90 दिनों के भीतर इसपर उन्हें रिपोर्ट सौंपने को कहा है। अमेरिका ने डब्ल्यूएचओ से कोरोना वायरस के संबंध में दूसरे चरण का अध्ययन करने की मांग की है।