कोरोना से स्वस्थ हो चुके लोग भले ही राहत महसूस करें लेकिन वैज्ञानिक अध्ययन यह संकेत कर रहे हैं कि कोरोना संक्रमितों का प्रतिरोधक तंत्र बिगड़ रहा है। ऐसे नतीजे कई अध्ययनों में आ चुके हैं। ताजा अध्ययन नेचर में प्रकाशित हुआ है जिसमें दावा किया गया है कि ठीक होने के बाद मरीजों के रक्त में एंटी वायरल प्रोटीन की कमी पाई गई। यह प्रोटीन शरीर को श्वसनी वायरल संक्रमणों से बचाने में अहम भूमिका निभाता है।नेचर के ताजा अंक में न्यूयार्क स्थित इकान स्कूल आफ मेडिसिन, माउंट सैनी के शोध को प्रकाशित किया गया है। यह अध्ययन स्वस्थ हो चुके कोरोना रोगियों पर किया गया। इसमें कहा गया है कि मरीजों में एंटी वायरल प्रोटीन का स्तर काफी कम मिला। इसका मतलब है कि ऐसे व्यक्ति को श्वसन संबंधी संक्रामक बीमारियों का खतरा आगे भी बना रहेगा। जो लोग कोरोना के अतिरिक्त अन्य श्वसन संबंधी संक्रामक बीमारियों से ग्रस्त थे, उनमें इस प्रकार की कमी नहीं पाई गई है। इसलिए वैज्ञानिकों का चिंतित होना स्वभाविक है।
कोशिकाओं के लिए घातक शोध में नतीजा निकला कि स्वस्थ हो चुके मरीजों में इंटरल्यूकिन (आईएल)-6 प्रोटीन की मात्रा ज्यादा पाई गई। यह प्रोटीन शरीर के प्रतिरोधक तंत्र को मजबूत करता है। शोधकर्ताओं ने पाया अन्य संक्रामक रोगों से स्वस्थ होने वाले लोगों में जहां आईएल-6 का स्तर सामान्य पाया गया, वहीं कोरोना से ठीक मरीजों में ज्यादा मिजा। इस प्रोटीन की ज्यादा मौजूदगी कोशिकाओं के लिए घातक हो सकती है। पूर्व के अध्ययनों में साबित हुआ है कि ठीक हो चुके मरीजों में एंटीबाडीज नहीं बन रही हैं। इसके अनुसार कम से कम आठ फीसदी लोगों में एंटीबाडीज नहीं बनती हैं। यह अध्ययन भी इस ओर संकेत करता है कि बीमारी शरीर के प्रतिरोधक तंत्र को बिगाड़ रही है। वर्धमान मेडिकल कॉलेज के कम्युनिटी मेडिसिन के निदेशक जुगल किशोर का कहना है ये बदलाव दर्शाते हैं कि यह रोग शरीर के प्रतिरोधक तंत्र के साथ खिलवाड़ कर रही है। इस पर दुनिया में बड़े स्तर पर शोध की जरूरत है ताकि एक नतीजा निकाला जा सके।