कोरोना की दुश्वारियों के बीच बिहार के श्रमिकों के लिए अच्छी खबर है। अब उन्हें बीमार होने की स्थिति में इलाज के पैसों के लिए परेशान नहीं होना होगा। श्रम संसाधन विभाग में निबंधित श्रमिकों को केंद्र की आयुष्मान भारत योजना से जोड़ा जा रहा है। तब उनके इलाज पर होने वाला पांच लाख तक का खर्च इस योजना से आच्छादित होगा। एक मई यानी मजदूर दिवस पर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका एलान कर सकते हैं।
बिहार में यूं तो श्रमिकों की संख्या काफी अधिक है, लेकिन श्रम संसाधन विभाग में करीब 15 लाख श्रमिक निबंधित हैं। यह भवन निर्माण सहित अन्य क्षेत्रों में काम करने वाले लोग हैं। बिहार भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार बोर्ड से निबंधित इन श्रमिकों को अभी तक राज्य सरकार हर साल तीन हजार रुपए बतौर चिकित्सा अनुदान देती है। यह राशि सीधे उनके खाते में भेजी जाती है। हालांकि बीमारी की स्थिति में यह राशि बेहद कम हैं, जिससे इलाज करा पाना संभव नहीं हो पाता। श्रमिकों की इन्हीं दुश्वारियों को देखते हुए राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण पहल की है।
राज्य के निबंधित श्रमिकों को आयुष्मान भारत योजना से जोड़ा जा रहा है। इसकी पूरी तैयारी कर ली गई है। निबंधित श्रमिकों के वार्षिक प्रीमियम की राशि राज्य सरकार देगी। यह राशि तकरीबन 110 करोड़ के करीब है। श्रम विभाग यह पैसा राज्य स्वास्थ्य समिति को दे रहा है। श्रमिकों को आयुष्मान भारत योजना से जोड़े जाने की औपचारिक घोषणा होती ही स्वास्थ्य विभाग और श्रम संसाधन विभाग के बीच एक समझौता पत्र भी हस्ताक्षर किया जाएगा।
श्रमिकों के साथ सरकार को भी लाभ
निबंधित श्रमिकों के आयुष्मान भारत योजना से जोड़े जाने से जहां श्रमिक परिवारों को लाभ होगा। उन्हें इलाज के लिए पैसे जुटाने को किसी पर निर्भर नहीं होना होगा, वहीं सरकार के खजाने पर भी आर्थिक बोझ घटेगा। दरअसल अभी श्रमिकों को 3000 हजार रुपए के हिसाब से वार्षिक चिकित्सा अनुदान देने पर सरकार को करीब साढ़े चार सौ करोड़ रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। आयुष्मान से जुड़ने के बाद वार्षिक प्रीमियम चुकाने में 110 करोड़ के करीब ही खर्च होगा।
श्रम संसाधन विभाग के मंत्री जीवेश कुमार ने बताया कि विभाग से निबंधित करीब 15 लाख श्रमिकों को आयुष्मान योजना से जोड़ने की तैयारी कर ली गई है। जल्द इसकी शुरुआत होगी। श्रमिकों को पांच लाख तक मुफ्त इलाज की सुविधा से आच्छादित किया जाएगा।