U.P. इन गांवों में आजादी के बाद पहली बार ग्राम प्रधान का चुनाव, जानिए कैसे मिला हक

उत्‍‍‍‍तर प्रदेेश की बागडोर संभालने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्राम घोषित कर उन्हें आजाद देश में मिलने वाली सभी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करा विकास की मुख्य धारा से जोड़ा। यही वनटांगियां अब आजाद भारत में पहली बार ग्राम पंचायत 2021 में पहली बार अपने गांव की सरकार बनाने के लिए उत्साहित हैं। 

गोरखपुर जिले के 5 और महराजगंज के 18 वनटांगिया ग्राम में ग्राम पंचायत चुनाव में मतदान को लेकर वनटांगियों को उत्साह देखते ही बन रहा है। गोरखपुर जिले में वनटांगिया ग्राम जंगल तिनकोनिया नम्बर 3 को राजस्व ग्राम घोषित कर जंगल तिनकोनिया नम्बर 2 ग्राम पंचायत से सम्बद्ध किया गया है जबकि तीन वनटांगिया ग्राम आमबाग रामगढ़, रामगढ़ उर्फ रजही खाले टोला और रजही उर्फ रामगढ़ सरकार को राजस्व ग्राम रामगढ़ उर्फ रजही से सम्बद्ध किया गया है। ये दोनों ग्राम पंचायते चरगांव ब्लाक में आती हैं जबकि पिपराइच ब्लाक  का वनटांगिया ग्राम चिलबिलबा को राजस्व ग्राम का दर्जा देकर चिलबिलवा ग्राम पंचायत से सम्बद्ध किया गया। इन वन ग्राम में तकरीबन 950 घर आबाद हैं। इसी तरह महराजगंज के 18 वनटांगिया ग्राम के 3779 परिवार भी गोरखपुर के वनटांगियों की तरह आजाद भारत में पहली बार ग्राम पंचायत के चुनाव में मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने दिया राजस्व ग्राम का दर्जा
वर्ष 2017 के पहले वनटांगिया गांव राजस्व ग्राम का दर्जा हासिल नहीं था। इसलिए सरकार की योजनाएं भी इनके लिए दूर की कौड़ी थीं। सीएम योगी आदित्यनाथ ने इन्हें राजस्व ग्राम का दर्जा दिया तो इन गावों की दशा एवं दिशा ही बदल गई। सीएम योगी आदित्यनाथ ने अभियान चला कर इन वनटांगिया गांव में आवास, सड़क, बिजली, पानी, स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र और आरओ वाटर मशीन जैसी सुविधाओं से आच्छादित हो गए हैं। वनटांगिया गांवों में आज सभी के पास अपना सीएम योजना का पक्का आवास, कृषि योग्य भूमि, आधारकार्ड, राशनकार्ड, रसोई गैस, बिजली कनेक्शन, स्कूल, पात्रों को वृद्धा, विधवा, दिव्यांग आदि पेंशन योजनाओं का लाभ मिल रहा है। सभी को अंत्योदय श्रेणी का राशन कार्ड भी मिला है। खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग एवं एक जिला एक उत्पाद सरीखी योजनाओं के अलावा माटी कला बोर्ड, उद्यान विभाग, कृषि विभाग एवं कृषि वानिकी की योजनाओं का भी लाभ मिल रहा है। एनआरएलएम के अंतर्गत यहां समूह भी संचालित किए जा रहे हैं। 

100 साल से अधिक पुरानी हैं वनटांगियों की बस्तियां
वनटांगिया गांव अंग्रेजी शासन में 1918 के आसपास बसाए गए थे। मकसद साखू के पौधों का रोपण कर वनक्षेत्र को बढ़ावा देना था। इनके जीवन यापन का एकमात्र सहारा पेड़ों के बीच की खाली जमीन पर खेतीबाड़ी था। गोरखपुर में कुसम्ही जंगल के पांच इलाकों जंगल तिनकोनिया नम्बर तीन, रजही खाले टोला, रजही नर्सरी, आमबाग नर्सरी और चिलबिलवा में बसी इनकी बस्तियां 100 साल से अधिक पुरानी हैं। अस्सी और नब्बे के दशक के बीच तो इन्हें जंगलों से भी बेदखल करने की कोशिश की गई।

2009 से वनटांगियां के बीच सीएम योगी मनाते हैं दीपावली
1998 में गोरखपुर से पहली बार सांसद बनने के बाद योगी आदित्यनाथ वनटांगियों के संघर्ष के साथी बने। सदन तक उनकी आवाज मुखर की। वह 2009 से उन्हीं के बीच दिवाली मनाते हैं । सीएम बनने के बाद भी रह सिलसिला जारी है। अभी बीते 27 मार्च को सीएम योगी आदित्यनाथ ने महराजगंज में वनटांगियों को संबोधित किया है। गोरखपुर के वनटांगियों को नई सरकार से मिले प्रोत्साहन के कारण काफी प्रगति की है। वनटांगियों द्वारा एफपीओ बना कर सुनहरी शकरकंद की खेती हिन्दुस्तान की खबर का संज्ञान लेकर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने वनटांगिया किसान रामगुलाब से बीते 25 दिसंबर को वर्चुअल संवाद भी किया था।

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