ऊर्जा निगम ने इस बार उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग को बिजली दरों में बढ़ोतरी का 4.65 प्रतिशत का प्रस्ताव नहीं भेजा है, बल्कि असल प्रस्ताव 16.5 प्रतिशत है। आंकड़ों में जादूगरी इस बार यूपीसीएल ने वाहवाही लूटने को दिखाया कि उसकी ओर से 4.65 प्रतिशत का प्रस्ताव भेजा गया है। हालांकि आयोग की शुरुआती जांच पड़ताल में ही इसका खुलासा हो गया कि असल प्रस्ताव 16.5 प्रतिशत का है। यूपीसीएल ने खर्चों और कमाई में इस बार कुल 952 करोड़ का गैप दिखाते हुए प्रस्ताव भेजा था। लेकिन इस वर्ष के लिए सिर्फ 323 करोड़ का ही प्रस्ताव दिखाया। शेष 628 करोड़ अगले दो वर्षों में रेगुलरटी एसेट के तौर पर एडजस्ट करने का प्रस्ताव रखा। अकेले 323 करोड़ के लिहाज से बढ़ोतरी का प्रस्ताव सिर्फ 4.5 प्रतिशत ही बैठता है, लेकिन शेष 628 करोड़ जोड़ने पर ये प्रस्ताव कुल 16.5 प्रतिशत का बैठता है।
आयोग ने जनता पर नहीं बढ़ने दिया भार
पिछले कई वर्षों से आयोग ने यूपीसीएल के बेतुके प्रस्तावों का भार आम जनता पर पड़ने नहीं दिया है। पिछले बार दरों को बढ़ने नहीं दिया। उससे पहले दरों को उल्टा कम कर दिया था। इसी तरह उससे भी पहले दरों में मामलू बढ़ोत्तरी की। आयोग यूपीसीएल के हर साल के 900 करोड़ के लाइन लॉस, बिजली चोरी का भार आम जनता पर पड़ने नहीं देता।
यूपीसीएल के प्रस्ताव का अध्ययन किया जा रहा है। यूपीसीएल ने कुल 952 करोड़ का गैप दिखाया है। इसे दो भागों में बांटा है। एक इस वर्ष के लिए 323 करोड़ दिखाया है। दूसरा अगले दो वर्षों के लिए 628 करोड़ दिखाया है। असल मायनों में प्रस्ताव कुल 952 करोड़ यानि की 16.5 प्रतिशत का ही है।