अमेरिका और ब्राजील के बाद भारत तीसरा देश है जहां रोजाना 10 हजार से ज्यादा मामले आ रहे हैं। रविवार को तो 12 हजार केस दर्ज हुए जो सर्वाधिक है। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों को देखें तो इस माह भारत में रोज करीब दस हजार केस आए। वहीं, अमेरिका में 22322 और ब्राजील में यह आंकड़ा 25800 रहा। नए मामलों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।
न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी अमेरिका के सबसे प्रभावित शहर थे। अप्रैल और मई में यहां लाखों मामले सामने आए। न्यूयॉर्क में 30,874 जबकि न्यूजर्सी में 12,696 लोगों की कोरोना की वजह से मौत हो गई। इन दो महीनों में हालात इतने खराब थे कि अस्पतालों में जगह नहीं थी, घरों में रखकर लोगों का इलाज तक करना पड़ा था।
ठीक होने वालों की दर दिल्ली-मुंबई में ज्यादा
हालांकि, तेजी से फैलते संक्रमण के बीच एक राहत की भी बात है। दिल्ली-मुंबई में ठीक होने वालों की दर दुनिया में कई शहरों से आज भी सबसे ज्यादा है। न्यूयॉर्क में सिर्फ 21.23 फीसदी जबकि न्यूजर्सी में 18.88 फीसदी ही महामारी से उबर पाए हैं जबकि वहां कई महीनों से लोग बीमारी से पीड़ित हैं। वहीं, मुंबई में 45.65 फीसदी जबकि दिल्ली में 38.36 फीसदी लोग ठीक हुए।
न्यूयॉर्क से ज्यादा दिल्ली- मुंबई में आ रहे मामले
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आर्थिक राजधानी मुंबई में कोरोना संक्रमण का ग्राफ कई अमेरिकी शहरों को भी पीछे छोड़ रहा है। एक समय दुनिया के सर्वाधिक प्रभावित शहर रहे न्यूयॉर्क व न्यूजर्सी में जहां इन दिनों सिर्फ 500-600 मामले रोजाना आ रहे हैं तो वहीं, दिल्ली में यह आंकड़ा 2100 और मुंबई में करीब 1500 दर्ज किया जा रहा है।
कैसे थामा कहर?
– प्रशासन ने तकनीक के जरिए कांटेक्ट ट्रेसिंग को रणनीतिक तौर पर लागू किया। कैंप लगाकर लोगों की जांच की गई और घर-घर जाकर भी छानबीन की
– जोन बनाकर रेड जोन में टेस्टिंग बढ़ाई गई, न्यूयॉर्क में प्रति दस लाख पर 140,290 जबकि न्यूजर्सी में 116,052 लोगों की टेस्टिंग की जा चुकी है
– पुलिसिंग तेज की गई ताकि लोग घरों से बाहर तभी निकलें जब उन्हें निकलना बेहद जरूरी था। सरकार ने जरूरी वस्तुओं को घर तक पहुंचाने में मदद की
– स्टे एट होम के तहत सख्त नियम लागू हुए, मेयर खुद सड़कों पर उतरकर लोगों को घर से बाहर न निकलने के लिए प्रेरित करते रहे।