(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
बिहार के कई इलाकों में भले ही कोसी नदी के पानी ने तबाही मचा रखी है और तेजी से फैल रहा पानी लोगों को अपने
घर छोड़ने को मजबूर कर रहा है। यहीं के लोकप्रिय अभिनेता मनोज वाजपेयी, जिनका दिल को छू लेने वाला गाना
श्बम्बई में का बाश् इन दिनों बहुत चर्चित है, उनको अपने गांव बलवां की बहुत याद आ रही है और वे वहां परिवार
समेत जाना चाहते हैं लेकिन जा नहीं पा रहे क्योंकि उस गांव में वाई फाई की सुविधा नहीं है । वाई फाई न होने से
बेटी की आनलाइन पढ़ाई बाधित होगी। जनता को इसी तरह की तमाम चिंताएं हैं लेकिन सूझ जुआरिह आपन दाऊं
की तरह नेताओं को सिर्फ यही चिंता है कि उनकी नैया कैसे पार लगेगी । जदयू के गढ बाजपट्टी को लेकर भी यही
हालात हैं। यहां विधानसभा की आठ सीटे हैं। विपक्षी महा गठबन्धन यहां सेंध लगाना चाहता है। सीतामढ़ी की तरह
ही भागलपुर में भी सत्ता पक्ष और विपक्ष में जबर्दस्त टक्कर हो सकती है। यहीं पर कोसी नदी का कहर भी ज्यादा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केन्द्र सरकार की तरफ से सौगात देने में कोई कसर बाकी नहीं रखी है और नीतीश कुमार
को ही चुनाव का चेहरा बना दिया है, इसलिए सीतामढ़ी और भागलपुर में तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार के बीच
दंगल देखने लायक होगा।
जलस्तर में लगातार जारी बढ़ोतरी के कारण कोसी नदी बिहार के कई इलाकों में तेजी से कटाव कर रही है। कोसी
नदी ने अब भागलपुर-नवगछिया के बगजान बांध को भी अपनी चपेट में ले लिया है।बिहार के भागलपुर में
नवगछिया के बिहपुर में कहारपुर से दक्षिण दयालपुर के पास कोसी का बगजान तटबंध कटाव के चपेट में आकर टूट
गया जिससे खेतों में तेजी से पानी फैलने लगा है। गत 19 सितम्बर की देर शाम तटबंध टूटने के बाद नवगछिया
एसडीओ अखिलेख कुमार,एसडीपीओ दिलीप कुमार,बिहार बीडीओ सतीश कुमार मौके पर जल संसाधन विभाग की
टीम के साथ मौके पर पहुंचे और टूटे तटबंध की मरम्मत के साथ बचाव के काम को लगा दिया था। बांध से पानी के
बहाव को रोकने का प्रयास किया जा रहा था। बिहपुर प्रखंड को खरीक प्रखंड की सीमा से जोड़ने वाले कहारपुर गांव के
दक्षिण की तरफ दयालपुर गांव के पास बगजान बांध कोसी के कटाव के कारण दस मीटर की लंबाई में टूट गया,
फलस्वरूप तेजी से खेतों में पानी का फैलाव शुरू हो गया. यह बांध कोसी की तबाही से बिहपुर और खरीक प्रखण्ड को
बचाता है।स्थानीय लोगों के अनुसार पिछले कुछ दिनों से लगातार तटबंध में कटाव हो रहा था और तेजी से कटाव के
कारण आधे हिस्सों में दरार आ गयी । जल संसाधन विभाग की टीम ध्वस्त हुए स्थान से कुछ दूरी पर कैम्प भी कर
रही थी, बावजूद इसके जल संसाधन विभाग की टीम ने समय रहते मरम्मत का काम शुरू नहीं कराया। चुनाव लडने
के इच्छुक नेताओं ने भी इसपर ध्यान नहीं दिया।तटबंध में हो रहे कटाव पर तेजी से अंकुश नहीं लगा तो भारी
जानमाल की क्षति हो सकती है। खेतों में पानी के फैलने से सैकड़ो एकड़ में लगी फसल डूबने लगी है। फैल रहे पानी से
खेती को भारी नुकसान हो सकता है। ग्रामीणों का कहना है कि बगजान बांध बिहपुर खरीक समेत नवगछिया के बड़े
इलाके को कोसी के प्रलय सें बचाता है। इस प्रकार यहां के लोगों का मुख्य मुद्दा चुनाव नहीं, बल्कि बांध है।
नेताओं के बीच जनता दल यू के गढ बाजपट्टी विधानसभा सीट के बारे में ही चर्चा हो रही है कि क्या इस बार यहां
महागठबंधन की दाल गलेगी। इस बार का चुनावी मुकाबला भी एनडीए और महागठबंधन के बीच होने के आसार हैं।
इस सीट पर पिछले दो बार से जेडीयू प्रत्याशी जीत रहे हैं। सीतामढ़ी में इन दिनों चुनावी हवा चल रही है। बड़ी के साथ
ही छोटी पार्टियां और निर्दलीय प्रत्याशी भी विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं। राजनीतिक दल तैयारियों में
किसी तरह की कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। यह अलग बात है कि चुनाव आयोग ने अभी तक न तो तिथियों का
ऐलान किया है और न ही पॉलिटिकल पार्टीज ने प्रत्याशियों के नामों की लिस्ट सार्वजनिक की है। चुनावी तैयारियों के
बीच सीतामढ़ी संसदीय क्षेत्र बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है। यहां विधानसभा की 8 सीटें हैं। ऐसे में प्रत्येक राजनीतिक
दल की निगाहें यहां टिकी रहती हैं। इन्हीं 8 सीटों में बाजपट्टी विधानसभा क्षेत्र भी आता है। यह सीट कई मायनों में
महत्वपूर्ण है। बाजपट्टी सीट जदयू का गढ़ है। बाजपट्टी विधानसभा सीट पर वर्ष 2015 के चुनावों में कुल 2,84,002
पंजीकृत मतदाता थे। इनमें से 1,55,175 वोटर्स ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। सत्तारूढ़ जनता दल
यूनाइटेड लगातार दो बार से यहां से चुनाव जीत रही है। जदयू प्रत्याशी डॉक्टर रंजू गीता यादव लगातार दो बार से
यहां से विधायक चुनी जा रही हैं। गौरतलब है कि वर्ष 2010 में जेडीयू ने जहां एनडीए के बैनर तले चुनाव लड़ा था, वहीं
साल 2015 के विधानसभा चुनाव में जदयू और भाजपा की राहें अलग हो गई थीं। इसके बावजूद जदयू ने यहां अपना
परचम फहराया था। जदयू ने पिछला चुनाव महागठबंधन में शामिल होकर तेजस्विता यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता
दल (राजद ) के साथ लड़ा था और जीत हासिल की थी। ऐसे में बाजपट्टी सीट श्रक्न् का गढ़ बन गया है। वर्ष 2015 के
विधानसभा चुनाव से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो यह कई मायनों में महत्वपूर्ण है। बाजपट्टी विधानसभा सीट पर
जेडीयू ने जीत हासिल की थी और पार्टी प्रत्याशी डॉ. रंजू को 67,194 वोट मिले थे, वहीं उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी
बीएलएसपी की रेखा कुमारी को 50,248 वोट ही हासिल हुए थे। वह दूसरे नंबर पर रही थीं। वहीं, तीसरे और चैथे स्थान
पर निर्दलीय प्रत्याशी रहे थे। इस बार जेडीयू एनडीए के साथ मिलकर चुनाव मैदान में उतरने जा रही है, वहीं आरजेडी
की अगुआई में महागठबंधन प्रत्याशी मैदान में होंगे। ऐसे में इस बार का विधानसभा चुनाव दिलचस्प हो सकता है।
इसी प्रकार गया जिला की गुरूआ विधानसभा सीट पर भाजपा फिर से भगवा फहराने का मंसूबा बनाए हुए है। गया
जिला के गुरूआ विधानसभा की अनुमानित जनसंख्या 571681 और वोटरों की संख्या 279132 है। पुरुष वोटर की
संख्या 144936, महिला वोटर की संख्या 134192 और थर्ड जेंडर की संख्या 4 है। इस समय भाजपा के राजीव नंदन
दांगी यहां के विधायक हैं। उन्होंने जदयू के रामचंद्र प्रसाद सिंह को करीब 7 हजार वोट से हराया था। राजीव नंदन
दांगी को 56480 और जदयू के रामचन्द्र प्रसाद सिंह को 49965 वोट मिले थे। गुरूआ विधानसभा क्षेत्र के अधीन
गुरूआ, गुरारू और परैया प्रखंड का क्षेत्र है। इस इलाके के लोगों का मुख्य कारोबार कृषि पर आधारित है। इस
विधानसभा क्षेत्र के गुरारू में स्थित गुरारू चीनी मिल कई दशक से बंद पड़ी हुई है। पिछले कई चुनाव में मिल को चालू
कराने का आश्वासन विभिन्न दलों के प्रत्याशियों और सरकार ने दिया था पर यह आश्वासन आजतक पूरा नहीं हो
पाया है। उत्तरी कोयल नहर परियोजना का लाभ अभी भी इस विधानसभा क्षेत्र के लोगों को नहीं मिल पा रहा है जिसके
लिए कई बार आन्दोलन हो चुका है। गुरूआ विधानसभा इस समय औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र के अन्तर्गत आता है।
इस विधानसभा का गठन 1977 में किया गया था और उपेन्द्रनाथ वर्मा ने सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर कांग्रेस के
कैप्टन शाहजहां को मात दी थी। वहीं 1980 के चुनाव में कैप्टन शाहजहां की विजय हुई थे। कैप्टन शाहजहां के
आकस्मिक निधन के बाद 1982 में हुए उपचुनाव में उनके बेटे मो. अली खान को विजय मिली थी और 1985 में मो.
अली खान को दोबारा जीत मिली । इसके बाद 1990 के चुनाव में रामाधार सिंह और 1995 में रामचन्द्र प्रसाद सिंह ने
निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की थी। वर्ष 2000 से 2010 तक लगातार 10 साल तक राजद के शकील अहमद
खान ने यहां का प्रतिनिधित्व किया और राबड़ी सरकार में मंत्री भी बने थे।दशक बाद 2010 में भाजपा के सुरेन्द्र प्रसाद
सिन्हा ने राजद के बिंदी यादव को हराया था, वहीं 2015 में भाजपा के राजीव नंदन दांगी ने जदयू के रामचंद्र प्रसाद
सिंह को शिकस्त दी थी। बहरहाल, दावेदारी दोनो की बनती है।एनडीए और महागबंधन में प्रत्याशियों के चेहरे अभी
साफ नहीं हैं। एनडीए गठबंधन में भाजपा की सीट बरकरार रहने पर वर्तमान विधायक राजीव नंदन दांगी को प्रत्याशी
बनाया जा सकता है पर उनको प्रत्याशी बनाए जाने के मुद्दे पर भाजपा के अंदर ही काफी विरोध है। ऐसे में किसी नए
नेता को भी मौका दिया जा सकता है। वहीं जदयू के भी कई नेता क्षेत्र से लेकर आलाकमान तक अपनी दावेदारी पेश
कर रहे हैं। महागठबंधन की तरफ से राजद के साथ ही कांग्रेस और रालोसपा के नेता इस सीट पर दावेदारी ठोक रहे हैं।
कई नेता क्षेत्र में प्रचार भी कर रहे हैं, पर महागठबंधन में सीटों का पेंच सुलझने के बाद ही यहां महागठबंधन की तरफ
से मैदान में उतरने वाली पार्टी और प्रत्याशी का खुलासा हो सकता है। जनता को यह देखकर हैरानी हो रही है कि
नेताओं को चुनाव जीतने की फिक्र है ,समस्याओं को हल करने की चिंता किसी को नहीं है।
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