विपक्ष के विरोध के बाद बैकफुट पर सरकार? मॉनसून सत्र में 30 मिनट के प्रश्नकाल की दी इजाजत

संसद के मॉनसून सत्र में प्रश्नकाल के निलंबन को लेकर विपक्ष के विरोध के बाद अब 30 मिनट तक सवाल पूछने की इजाजत दी गई है। इससे पहले आगामी संसद सत्र में प्रश्नकाल के निलंबन की बात कही गई थी। बता दें कि संसद के दोनों सदन में एक घंटे का प्रश्नकाल होता है जिसमें सवाल किया जाता है। लेकिन इस बार कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए प्रश्नकाल के समय को निलंबित कर दिया गया था। प्रश्नकाल के निलंबन के बाद विपक्ष लामबंद हो गया है विरोध शुरू हो गया था।

प्रश्नकाल के निलंबन को लेकर बृहस्पतिवार को सरकार पर तीखा हमला बोला था और आरोप लगाया कि यह विपक्ष की आवाज दबाने का प्रयास है। मुख्य विपक्षी कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने दावा किया था कि प्रश्नकाल का निलंबन करके लोकतंत्र का गला घोटने और संसदीय प्रक्रिया को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, कांग्रेस पार्टी इसे कभी स्वीकार नहीं करेगी। हम इसका संसद के भीतर और बाहर दोनों जगह पुरजोर विरोध करेंगे। विपक्ष के विरोध के बाद अब सरकार ने संसद में प्रश्नकाल के लिए 30 मिनट का समय निर्धारित किया है।

प्रश्नकाल नहीं चलाने को लेकर विपक्ष के आरोपों पर जवाब देते हुए सरकार के सूत्रों ने कहा था कि पहली बार ऐसा नहीं हो रहा कि किसी सत्र में प्रश्नकाल नहीं चलेगा। 2004 और 2009 में भी प्रश्नकाल नहीं हुआ था। इसके अलावा विभिन्न कारणों से 1991 में और उससे पहले 1962, 1975 तथा 1976 में भी प्रश्नकाल नहीं हुआ था। राज्यसभा के एक विश्लेषण में सामने आया है कि पिछले पांच साल में प्रश्नकाल के 60 प्रतिशत समय का इस्तेमाल नहीं किया गया और केवल 40 प्रतिशत समय का उपयोग किया गया।

राज्यसभा के एक विश्लेषण में सामने आया कि पिछले पांच साल में प्रश्नकाल के 60 प्रतिशत समय का इस्तेमाल नहीं किया गया और केवल 40 प्रतिशत समय का उपयोग किया गया। सूत्रों ने कहा कि पहली बार 1975 और 1976 में आपातकाल के दौरान प्रश्नकाल नहीं हुआ था। जब विपक्ष के नेताओं और मीडिया को छोड़कर बाकी सब सामान्य था। तब विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया था और मीडिया पर पाबंदी लगा दी गयी थी।

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