- Last updated: Mon, 27 Apr 2020
यूपी में कोरोना वायरस के मामले धीरे-धीरे बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में सरकार लॉकडाउन में किसी भी तरह से ढील देने के मूड में नहीं है। हालांकि शासन स्तर पर इस मामले में मंथन चल रहा है कि उन जिलों पर पहले फोकस किया जाए जहां कोरोना के मामले कम है। अधिकारियों की बैठक में तय हुआ है कि जिन जिले में एक भी केस नहीं मिले या जहां दस से कम कोरोना के मामले आए हैं वहां ध्यान दिया जाए और वहां औद्योगिक गतिविधियां जल्द शुरू हो सकती हैं। इस तरह करीब 45 जिलों में छोटी बड़ी औद्योगिक गतिविधियां शुरू की जा सकती हैं।
इन जिलों में अभी तक एक भी केस नहीं
अमेठी, फर्रुखाबाद, जालौन, झांसी, ललितपुर, हमीरपुर, महोबा, चित्रकूट , सिद्धार्थनगर ,कानपुर देहात, फतेहपुर, , कुशीनगर, देवरिया, बलिया, चंदौली व सोनभद्र। शनिवार तक आए केस के मुताबिक यह जिले चिन्हित हुए हैं।
10 या उससे कम केस वाले जिलों में उद्योगों पर खास फोकस
हाथरस, मथुरा, एटा, कासगंज, मैनपुरी, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, खीरी, उन्नाव, कन्नौज, इटावा, बांदा, प्रतापगढ़, कौशाम्बी, प्रयागराज, बाराबंकी, अयोध्या, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, महराजगंज, आजमगढ़, मऊ जौनपुर, गाजीपुर , गोरखपुर, संतरविदास नगर व मिर्जापुर।
सख्ती से करा रहे लॉकडाउन का पालन :
शासन में उच्चस्तरीय बैठक में कहा गया कि 10 से ज्यादा केस वाले जिलों में लाकडाउन का सख्ती से पालन कराया जा रहा है। ऐसे में वहां औद्योगिक गतिविधियां शुरू करने में खासी मुश्किलें आएंगी। असल में विडम्बना यह है कि सर्वाधिक उद्योग वाले पश्चिमी यूपी के लगभग सभी जिले कोरोना संक्रमण से ग्रस्त हैं जबकि इस मामले में बुंदेलखंड बहुत बेहतर स्थिति में हैं। पश्चिमी यूपी जैसा हाल मध्य यूपी का है। बेहतर स्थिति में अपेक्षाकृत पूर्वांचल है।
आईटी कंपनियों के सामने कई मुश्किलें
नोएडा, ग्रेटर नोएडा व पश्चिमी यूपी में लगभग सभी जिले कोरोना संक्रमित हैं। यहां आईटी कंपनियों ने अपना काम शुरू करने की कोशिश की है लेकिन इन कंपनियों में काम करने वाले प्रोफेशनल्स को कंपनी आने-जाने में लाकडाउन के चलते खासी मुश्किले हैं। निर्माण कंपनियों के सामने कंटेनर सप्लाई की मुश्किल है तो माल की ढुलाई के लिए ट्रकों की आवाजाही भी सीमित ही है। केवल प्रयागराज में साफ्टवेयर टेक्नालॉजी पार्क ही चालू हो पाया है। सीमेंट फैक्ट्री समेत कई उद्योगों के सामने कच्चा माल मिलना बाधित है। स्टार्ट कंपनियों को भी काम शुरू करने में मुश्किलें हैं। औद्योगिक विकास विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक 10 दिनों में केवल दर्जन भर यूनिट ही चालू हो पाईं हैं। माल की मांग न होने व वित्तीय संकट की समस्याएं तो अलग से हैं।