शिवसेना नेता संजय राउत ने सोमवार को संकेत दिया कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पांच अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए होने वाले भूमि पूजन कार्यक्रम में कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर शामिल नहीं होंगे। राउत ने भूमि पूजन समारोह की शुभकामनाएं देते हुए पत्रकारों से कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि प्रधानमंत्री वहां जा रहे हैं। मुख्यमंत्री (ठाकरे) कभी भी जा सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बुधवार को भूमि पूजन का कार्यक्रम प्रस्तावित है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इसमें शामिल होने का कार्यक्रम है। राउत ने राम मंदिर निर्माण के आंदोलन में शिवसेना के योगदान को दोहराया है और कहा कि पार्टी ने एक करोड़ रुपये का दान राम मंदिर के निर्माण के लिए दिया है।
उन्होंने कहा, ”अयोध्या और आसपास के इलाके में कोरोना वायरस की महामारी चिंता का विषय है… उत्तर प्रदेश की मंत्री कमल रानी वरुण की कोविड-19 बीमारी की वजह से मौत हो गई जबकि तीन और मंत्री संक्रमित हैं।” राउत ने कहा, ”मेरा मानना है कि जहां समारोह हो रहा है वहां कम से कम लोगों को जाना चाहिए। यह अहम है कि प्रधानमंत्री वहां जा रहे हैं। मुख्यमंत्री (ठाकरे) किसी भी समय वहां जा सकते हैं।”
यह पूछे जाने पर क्या कि ठाकरे को समारोह के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है? राउत ने कहा, कोई भी निमंत्रण का इंतजार नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि मंदिर के पुजारी और सुरक्षा कर्मियों को पृथक-वास में भेजा गया है।
राज्यसभा सदस्य राउत ने कहा कि शिवसेना इस मुद्दे (पार्टी के नेता को आमंत्रित नहीं करने को) राजनीतिक रंग नहीं देना चाहती। उन्होंने कहा कि अयोध्या में स्थिति गंभीर है और वहां चिकित्सा आपातकाल जैसी स्थिति उत्पन्न हो रही है। और आप (मीडिया) सवाल कर रहे हैं कौन वहां जा रहा है। वहां यथासंभव कम से कम लोगों को जाना चाहिए। हम बाद में वहां जाएंगे।
उन्होंने कहा कि यहां तक कि भाजपा के वयोवृद्ध नेता लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जिन्होंने राम मंदिर आंदोलन में अहम भूमिका निभाई, वे भी संभवतः कोविड-19 की वजह से नहीं जा रहे हैं। राउत ने कहा कि शिवसेना ने राम मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी। उन्होंने कहा कि अगर बाबरी ढांचे को नहीं गिराया जाता तो मंदिर का निर्माण संभव नहीं होता।
उन्होंने कहा, भारतीय जनता पार्टी, विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय स्वयं सेवक ने स्वीकार किया कि वे शिव सैनिक (शिवसेना कार्यकर्ता) थे जिन्होंने विवादित ढांचे को गिराया था। अत: वो हम थे जिन्होंने मंदिर निर्माण का रास्ता साफ किया। हम खुश हैं कि मंदिर का निर्माण हो रहा है और आपने देखा कि उद्धव ठाकरे व हमारी शिवसेना ने एक करोड़ रुपये इसके लिए दिए हैं।