उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 23 फरवरी से 26 फरवरी के बीच फैले हिंसक साम्प्रदायिक दंगों के मामले में दिल्ली पुलिस ने अदालत में प्रारंभिक जांच रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस ने कई अहम खुलासे किए हैं। इस मामले में पुलिस के शिकंजे में आया आम आदमी पार्टी (आप) का निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन को लेकर पुलिस का कहना है कि उसने कई कंपनियां बनाई हुई थीं। इन कंपनियों के माध्यम से उसने गैरकानूनी तरीके से दंगों के लिए एक करोड़ 12 लाख रुपये जुटाए। इसमें उसका साथ प्रतिबंधित आतंकी संगठन पीएफआई से भी मिला। ताहिर हुसैन सीधे तौर पर इन दंगों के मास्टरमाइंड उमर खालिद से मिला हुआ था।
पुलिस का आरोप है कि एक राजनीतिक व्यक्ति होने के नाते ताहिर ने अपने समुदाय के लोगों को अपने कब्जे में लिया हुआ था। अनर्गल बातें फैला उसने इलाके के लोगों को दंगों के लिए भड़काया। उसके खिलाफ कुल 12 मुकदमे दर्ज हैं। पुलिस के मुताबिक इन दंगों के मास्टरमाइंड के इशारे पर ताहिर हुसैन ने पहले से ही अपनी छत पर पेट्रोल बम, तेजाब, पत्थर, गुलेल, लोहे की छड़ और घातक हथियार एकठ्ठा किए हुए थे। पुलिस के मुताबिक ताहिर को इसके लिए देश के ही कई हिस्सों जैसे गौंडा, कलकत्ता आदि से प्राप्त हुए थे।
पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जामिया के छात्र नेता मीरान हैदर को सऊदी अरब से दंगों भड़काने के लिए रकम मिली। मीरान ने खुद गिरफ्तारी के बाद दो लाख 33 हजार रुपये की रकम पुलिस को बरामद कराई। मीरान ने बताया कि यह रकम सऊदी अरब से उसे प्राप्त हुई है। पुलिस ने अदालत को बताया कि इस रकम की लेन-देनदारी को लेकर वह विदेश मंत्रालय समेत अन्य विभागों के माध्यम से जांच कर रहे हैं। परन्तु पूरे विश्व में लॉकडाउन के चलते इसमें देरी हो रही है। पुलिस मुताबिक उन्होंने एफआरआरओ को पत्र लिखा हुआ है। जवाब का इंतजार है। पुलिस ने यह भी बताया कि एक समुदाय विशेष को एकजुट करने के लिए मीरान ने महाराष्ट्र, राजस्थान व हरियाणा समेत अन्य राज्यों में घूम-घूम कर समर्थन जुटाया था। यह सब दंगों से पहले ही कर लिया गया था। इतना ही नहीं वह हर जगह देश विरोधी बयानबाजी कर रहा था।
पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक गुलिफ्सा खातून ने सोशल साइट जैसे फेसबुक, टि्वटर व व्हाट्सएप आदि पर देश के खिलाफ समुदाय विशेष को जुटाने का मोर्चा संभाला था। इस साजिश के तहत नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ बहुत पहले ही 21 जगहों पर समुदाय विशेष के प्रदर्शन की तैयारी कर ली गई थी। इन्हीं जगहों पर दंगे भड़काने के भी पूरे इंतजाम कर लिए गए थे। गुलिफ्सा खातून पर हर उस जगह पर जाकर देखने की जिम्मेदारी जहां-जहां प्रदर्शन हो रहे थे। वीडियो फुटेज में वह हर जगह नजर भी आ रही है। इसके अलावा लोगों को सोशल साइट से भड़काने का काम भी गुलिफ्सा पर थी। पुलिस के मुताबिक जामिया के छोत्र नेताओं और पिजंड़ा तोड़ गिरोह की जाफराबाद व सीलमपुर में दंगे शुरु कराने में अहम भूमिका थी। दंगों की शुरुआत यहीं से 23 फरवरी को हुई थी।
दिल्ली पुलिस ने अदालत में प्रारंभिक जांच रिपोर्ट पेश करते हुए कहा है कि इन दंगों के लिए सऊदी अरब व देश के अलग-अलग हिस्सों से मोटी रकम आई थी। पुलिस ने यह भी कहा कि ये दंगे अचानक नहीं भड़के थे, बल्कि दिल्ली में अधिक से अधिक जान-माल की हानि के लिए पहले से तैयारी की गई थी। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने अदालत से आग्रह किया कि उन्हें इन दंगों की जड़ों तक पहुंचने व आरोपपत्र दाखिल करने के लिए वक्त दिया जाए।
पटियाला हाउस स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेन्द्र राणा की अदालत में पुलिस की तरफ से इन दंगों के तीन महत्वपूर्ण किरदारों को लेकर अहम जानकारी दी गईं। इनमें आम आदमी पार्टी(आप) से निलंबित निगम पार्षद ताहिर हुसैन, जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्र नेता मीरान हैदर व गुलिफ्सा खातून शामिल हैं। पुलिस का कहना था कि ये तीनों तो मोहरा हैं, जिन्हें सीधे दंगों में अधिक से अधिक नुकसान पहुंचाने के लिए तैयार किया गया। असली जड़ तक पहुंचना बाकी है। पुलिस ने अदालत से कहा कि कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन रहा और पूरा पुलिस बल लॉकडाउन के पालन में लगा रहा। इस बीच इन दंगों की जांच की गति धीमी हो गई। क्योंकि इन दंगों की जड़ दिल्ली से नहीं बल्कि विदेश व देश के कई अन्य हिस्सों से जुड़ी हैं। इसलिए वहां तक इस दौरान नहीं पहुंच पाए।
अदालत ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के अहम खुलासों के मद्देनजर उन्हें इस मामले में जांच पूरी करने व आरोपपत्र दाखिल करने के लिए दो महीने का समय दिया है। हालांकि पुलिस ने 180 दिन का समय मांगा था। इनमें से 90 दिन सात जुलाई को पूरे हो रहे हैं। लेकिन अदालत ने कहा कि अब इससे ज्यादा समय नहीं दिया जा सकता। पुलिस दो महीने में जांच पूरी कर आरोपपत्र दाखिल करे