वाराणसी। तीन महीने तक इस दवा का ट्रायल पूरा होने के बाद बीएचयू आयुर्वेद विभाग अपनी रिपोर्ट आयुष मंत्रालय को सौपेंगा। बनारस हिन्दू युनिवर्सिटी के आयुर्वेद विभाग द्वारा वर्ष 1980 में शिरीषादि कसाय सांस रोग के लिए खोजी गई थी। आयुर्वेदिक दवा शिरीषादि कसाय शिरीष संग वासा, मुलेठी, तेजपत्ता, कंडकारी औषधीय से मिलकर बना हैं।
आयुष मंत्रालय ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय / बनारस हिन्दू युनिवर्सिटी(बीएचयू) के आयुर्वेद संकाय द्वारा 40 साल पहले खोज कर बनायी गयी आयुर्वेदिक दवा ‘शिरीषादि कसाय’ को कोरोना दवा के ट्रायल के लिए मंजूरी दे दी है। आयुष मंत्रालय ने इस काम के लिए 10 लाख रुपये की राशि भी स्वीकृत की है।
आयुष मंत्रालय ने इस काम के लिए 10 लाख रुपये की राशि भी स्वीकृत की है। डीन यामिनी भूषण त्रिपाठी ने बताया कि आयुर्वेद विभाग और बीएचयू कोविड अस्पताल के संयुक्त उद्यम में इसका ट्रायल किया जाएगा। कोरोना में बिलकुल वैसे ही लक्षण है जैसे आम तौर पर सांस रोग के मरीजो में होते हैं। ये दवा उनके लिए उपयोगी होने की उम्मीद है।