आखिरकार यूपी के बहुचर्चित शिक्षिका अनामिका शुक्ला की फर्जी नियुक्ति केस मामले में पहली कार्रवाई हो गई है। प्रारंभिक जांच के बाद सहारनपुर जिले में कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय की वार्डन को बर्खास्त कर दिया गया है। राजकीय कार्यों में लापरवाही, उच्च अधिकारियों को बिना बताए मानदेय जारी करने पर गाज गिरी है। वहीं बालिका शिक्षा के जिला समन्वयक के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को लिखा जाएगा। इनके अलावा अभी और भी कई लोग कार्रवाई की जद में आ सकते हैं। प्रदेश के कई जिलों में अनामिका शुक्ला के नाम पर कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में फर्जीवाड़ा किया गया। इसकी आंच सहारनपुर तक पहुंची। यहां मुजफ्फराबाद के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में कथित शिक्षिका अनामिका शुक्ला की अगस्त 2019 में नियुक्ति हुई। इस मामले की जांच हुई तो फर्जीवाड़ा सामने आया। न तो अनामिका शुक्ला का पता सही था और उस नाम से गांव में कोई महिला नहीं थी। इतना ही नहीं कथित शिक्षिका ने अभिलेखों में फर्जीवाड़ा कर 1.17 लाख रुपये का मानदेय भी पाया। सब कुछ मिलीभगत से इस काम को अंजाम दिया गया।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने बालिका शिक्षा के जिला समन्वयक और विद्यालय वार्डन को नोटिस थमाकर जवाब मांगा था। बुधवार को नोटिस का जवाब मिला। जिसमें प्रथम दृष्टया दोनों की लापरवाही के सबूत मिले। यहीं नहीं तीन सदस्यीय कमेटी की जांच भी जिला समन्वयक और वार्डन की लापरवाही उजागर हुई। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने कस्तूरबा गांधी विद्यालय की वार्डन ललिता देवी की लापरवाही पर उनकी संविदा समाप्त कर दी है। इसके साथ ही जिला समन्वयक के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को लिखा जाएगा।
सहारनपुर के बीएसए रमेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि शिक्षिका अनामिका शुक्ला के फर्जी नियुक्ति मामले में कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय की वार्डन की संविदा समाप्त कर दी है। वार्डन ने राजकीय कार्यो में लापरवाही, उच्च अधिकारियों के बिना मानदेय जारी किया है, जो बड़ी लापरवाही है। बालिका शिक्षा के जिला समन्वयक के विरुद्ध कार्रवाई के लिए शासन को लिखा जाएगा।