ब्यूरो,
इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक विवादास्पद फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लागायी रोक
इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक विवादास्पद फैसले में नाबालिग के गुप्तांगों को छूना बलात्कार का प्रयास नहीं माना गया, जिस पर देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए। सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की 17 मार्च की टिप्पणी पर रोक लगा दी और इसे निर्णय सुनाने वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज को असंवेदनशील व अमानवीय बताया है। यह फैसला यूपी की घटना से सम्बन्धित बच्ची के सलवार का नाड़ा खोलने और उसे पुलिया के नीचे खींचने, बलात्कार का प्रयास करने का अपराध नहीं है, मामले में दिया गया था। न्यायमूर्ति राम मनोहर मिश्रा वाया उत्तर प्रदेश ज्यूडिशियल सर्विस में शामिल हुए इसके बाद 2005 में वे उच्च न्यायिक सेवाओं में प्रमोट हुए, 2019 में उन्होंने अलीगढ़ और बागपत जिलों में डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज के तौर पर सेवाएं दीं। 15 अगस्त 2022 को उन्हें इलाहाबाद हाइकोर्ट में अतिरिक्त न्यायधीश की जिम्मेदारी मिली थी, सितंबर 2023 में वे हाई कोर्ट स्थायी न्यायधीश बने।