Alok Verma, Jaunpur Bueauro,
वो फलक पे गये, बाखुदा बन गये
वो फलक पे गये
बाखुदा बन गये
रात ढलती गई
जानेंअदा बन गये
राहत की घड़ी
तकसीम ना हुई
मयस्सर उनके दीदार को
इल्तिजा बन गये
Alok Verma, Jaunpur Bueauro,
वो फलक पे गये, बाखुदा बन गये
वो फलक पे गये
बाखुदा बन गये
रात ढलती गई
जानेंअदा बन गये
राहत की घड़ी
तकसीम ना हुई
मयस्सर उनके दीदार को
इल्तिजा बन गये