आलोक वर्मा, जौनपुर ब्यूरो,
मुख्यमंत्री के आदेश के बाद भी मड़ियाहूं में धड़ल्ले से चल रहा अवैध प्रसूति गृह
नहीं हो रही शासनादेशों का अनुपालन, अंधेरे में है नवजात की जान
मड़ियाहूं, जौनपुर। स्थानीय कस्बे के एक वार्ड में बेख़ौफ़ प्रसूति गृह चल रहा है जबकि सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बार—बार अधिकारियों को निर्देशित कर रहे हैं कि किसी भी विभाग द्वारा किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी। ऐसे में मड़ियाहूं तहसील क्षेत्र में जहां दर्जनों बिना लाइसेंस के हॉस्पिटल चल रहे है, वहीं महिला द्वारा अवैध तरीके से बिना किसी चिकित्सक की देख—रेख में प्रसूति केंद्र चलाया जा रहा है। दूर—दराज से लोग इस महिला के पास इलाज करवाने आते हैं। बिना किसी सर्जन और चिकित्सक के डिलेवरी करवाई जाती है। 24 घंटे सर्विस के साथ यह प्रसूति गृह चल रहा है जबकि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र महज 500 मीटर की दूरी पर है। वहां प्रसूति सम्बंधित मरीज न के बराबर दिखते हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से ज्यादा प्रसूति इस महिला कर्मी के अवैध प्रसूति केंद्र में करवाई जाती है।
आम जनमानस में यह भी चर्चा का विषय बना हुआ है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों व उच्चाधिकारियों की मिलीभगत से ही अवैध रुप से चल रहे प्रसूता केंद्रों को आरक्षण प्रदान किया गया है, क्योंकि बिना मिलीभगत के किसी प्रकार का प्रसूता केंद्र व स्वास्थ्य केंद्र चलाना नामुमकिन है तथा जांच के नाम पर सिर्फ कोरम पूरा कर दिया जाता है। ज्ञात हो कि कुछ ही महीने पहले उसे समय के तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा एक अवैध अल्ट्रासाउंड सेंटर को सील किया गया था जो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से मात्र 10 कदम की दूरी पर फल फूल रहा था।
सूत्रों की मानें तो जब ऐसे अवैध केंद्रों के खिलाफ जिला प्रशासन कार्यवाही करना चाहती है तो उन्हीं के विभाग के लोग केंद्र संचालकों को सूचित कर दिया जाता है। इसके पश्चात भारी मात्रा में अवैध वसूली भी की जाती है। ऐसे में देखना यह है कि क्या ऐसे अवैध प्रसूता केंद्र संचालकों के ऊपर प्रशासन किसी प्रकार की कोई कार्यवाही कर पाने में सक्षम है या नहीं तथा उनको संरक्षण देने वाले अधिकारियों पर भी कार्यवाही होती है या नहीं?