आलोक वर्मा, जौनपुर ब्यूरो,
अंतिम समय में बीएसपी ने धनंजय सिंह की पत्नी का काटा टिकट
निवर्तमान सांसद श्याम सिंह यादव को घोषित किया प्रत्याशी
जौनपुर। नामांकन के आखिरी दिन बसपा ने ऐसा दांव चला कि जौनपुर संसदीय सीट के सारे समीकरण ध्वस्त हो गए। पूर्व सांसद धनंजय सिंह की पत्नी जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीकला सिंह का टिकट काटकर निवर्तमान सांसद श्याम सिंह यादव को प्रत्याशी घोषित कर दिया। श्याम सिंह यादव ने अपना पर्चा भी दाखिल कर दिया है। आखिरी वक्त में हुए इस सियासी फेरबदल ने जनपद की राजनीति में भूचाल ला दिया। चर्चा होने लगी कि धनंजय सिंह की पत्नी का टिकट क्यों और कैसे कटा? इस फेरबदल से किस दल के उम्मीदवार को फायदा होगा?
पिछले दो दशक से पूर्व सांसद धनंजय सिंह का जौनपुर की राजनीति में दबदबा कायम है। वर्ष 2002 में उन्होंने राजनीति में कदम रखा और विधानसभा होते हुए देश के सबसे बड़े सदन में पहुंचे। अपने पिता को भी विधायक बनाया। उनकी पत्नी जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। इस दौरान उन्होंने कई उतार चढ़ाव देखे। अपहरण और रंगदारी मामले में सजा होने से चुनाव लड़ने के अयोग्य होने के बाद अपनी पत्नी को बसपा से टिकट दिलाया। पर्चा भी दाखिल करा दिया। जमानत से छूटने के बाद सियासी समर में उनकी धमाकेदार इंट्री भी हुई। समर्थकों में नई ऊर्जा का संचार हो गया। फील्ड सजाई जाने लगी इसी बीच उनकी पत्नी का टिकट कटने की सुगबुगाहट भी होने लगी। सोमवार की सुबह खबर आई की उनकी पत्नी का टिकट कट गया। उनके स्थान पर निवर्तमान बसपा सांसद श्याम सिंह हाथी पर सवार होंगे। इस सीट पर भाजपा से महाराष्ट्र के पूर्व गृहराज्यमंत्री कृपाशंकर सिंह तथा सपा से पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा मैदान में हैं। यहां अभी तक त्रिकोणीय मुकाबले के आसार थे लेकिन बसपा द्वारा टिकट बदलने से सारे समीकरण ही बदल गए हैं। धनंजय सिंह की वजह से भाजपा प्रत्याशी कृपाशंकर सिंह को सजातीय वोटों के बंटने के कारण काफी नुकसान हो रहा था। अब उन्हें अपनी जाति के पूरे वोट मिलने की संभावना बढ़ गई है। गौरतलब है कि दलीय राजनीति के इतर धनंजय सिंह की हर वर्ग में गहरी पैठ है। उनके समर्थकों की खासी तादात है। वहीं व्यक्तिगत संबंधों के कारण उनके नाम पर बड़ी संख्या में वोट पड़ते हैं। उनकी पत्नी के द्वारा चुनाव न लड़ने पर यह वोट अब बंटेंगे।
धनंजय सिंह समाजवादी पार्टी के यादव वोटरों में भी सेंधमारी कर रहे थे। अब इन वोटरों पर श्याम सिंह यादव की नजर रहेगी। एक बात और है कि धनंजय सिंह की वजह से जो मुसलमान वोटर बंट रहे थे वह अब एकमुश्त समाजवादी पार्टी को मिलने की संभावना जताई जा रही है।
अंतिम दौर में हुए इस सियासी फेरबदल से अंतत: निर्णायक फायदा किसे पहुंचेंगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।