10 साल से लखनऊ में चल रहे फर्जी रजिस्ट्री के बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा, होगी जांच

ब्यूरो,

10 साल से लखनऊ में चल रहे फर्जी रजिस्ट्री के बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा , होगी जांच

लखनऊ के विभूतिखंड थाने में दर्ज दो मुकदमों की विवेचना में जेसीपी कानून व्यवस्था ने लखनऊ में चल रहे फर्जी रजिस्ट्री का बड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ा। खुलासा हुआ है कि रजिस्ट्री दफ्तर में फर्जीवाड़ा करने वाला गिरोह कुछ कर्मचारियों से साठगांठ कर फर्जी रजिस्ट्री कर जमीनों पर कब्जा कर रहा है। कई मामलों में जमीन पर कब्जा करने का प्रयास अभी तक हो रहा है। जेसीपी उपेन्द्र कुमार अग्रवाल ने इस खेल को उजागर करने वाले साक्ष्यों के साथ प्रमुख सचिव राजस्व को पत्र लिखकर वर्ष 2000 के आस पास 10 साल में हुई रजिस्ट्रियों की जांच कराने को कहा है। इस जांच में और बड़ा खेल सामने आने की बात कही गई है। इस गिरोह में वकीलों के वेष में रहने वाली महिलायें भी शामिल हैं।

विभूतिखंड कोतवाली में 17 फरवरी 2024 को सॉफ्टवेयर इंजीनियर अजय सिंह ने एफआईआर दर्ज कराई थी कि शिवानी सिंह, मुकेश यादव, रणविजय सिंह, विजय कुमार, फैयाज, राम किशोर तिवारी, बबलू गुप्ता, राजीव भटनागर, अमित व वकील के वेश में आये 15-20 लोगों ने उनके प्लाट पर कब्जा करने का प्रयास किया। ये लोग डीवीआर भी लूट ले गए थे। विवेचना में आया कि इस प्लाट की रजिस्ट्री 29 अगस्त 2022 को राजकुमार से कराई गई है। राजकुमार से जब पूछताछ हुई तो उसका कहना था कि 12 अक्तूबर 2001 को ये प्लाट उनको एलडीए से आवंटित हुआ था। तफ्तीश में पता चला कि राजकुमार ने झूठ बोला था। उसकी रजिस्ट्री फर्जी है। सख्ती से पूछताछ में पता चला कि फैयाज नाम के शख्स ने राजकुमार के नाम पर ये फर्जी रजिस्ट्री 2022 में कराई थी। इसमें रजिस्ट्री का वर्ष 2001 लिखाया था। उसे दो लाख रुपये देने का लालच दिया था। उसके नाम पर खाता भी खुलवाया था। इस फर्जी रजिस्ट्री के आधार पर शिवानी के नाम रजिस्ट्री की गई।

जांच के दौरान ही एक और जमीन के दस्तावेजों की जांच की गई। इसमें भी ऐसा खेल सामने आया। वर्ष 2001 में 10 दिसम्बर  को उपनिबंधक द्वितीय सदर कार्यालय में दो विलेख संदिग्ध पाये गये। दोनों विक्रय विलेख की जांच में आया कि 157 से 170 तक के प्रस्तुतकर्ता का नाम अमीरा पुनवानी व पृष्ठ संख्या 31 से 48 तक लेख प्रस्तुत कर्ता क्रेता का नाम नैन सिंह अंकित है। इसमें भी फर्जी रजिस्ट्री का खेल हुआ।  जेसीपी  ने प्रमुख सचिव राजस्व को पत्र लिखा है कि वर्ष 2000 या इसके आस पास के 10 सालों में हुई रजिस्ट्रियों की जांच करायी जाये। एक पत्र एलडीए को भी भेजा है। इसमें और बड़ा खेल सामने आने की सम्भावना व्यक्त की गई है।

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