आलोक वर्मा, जौनपुर ब्यूरो,
महिलाओं की प्रेरणास्रोत बनीं दिव्यांग महिला आशा देवी पटेल
जौनपुर। संगठन और समूह में वह ताकत है जो बन्द मुट्ठी के समान होती है। कहा जाता है कि जहां लोग एक छत के नीचे रहते हैं, उसे समूह कहते हैं। हम बात करते हैं स्वयं सहायता समूह का जो हर ब्लॉक के गांव में संचालित करके महिलाओं द्वारा साबित कर दी कि हम भी गांव की महिलाओं में वह ताकत है जो एक छत के नीचे महिलाओं को समूह बनाकर संचालित करके महिलाओं की ताकत को दिखा सकते हैं।
बात मड़ियाहूं विकास खंड के मुकुंदपुर गांव की है जहां 2019 में मां शारदा समूह का गठन किया गया। गरीब परिवार की विकलांग महिला आशा पटेल 60 प्रतिशत शारीरिक विकलांग है। ऐसी स्थिति में समूह का गठन करके अपने साथ सैकड़ों महिलाओं को जोड़कर दर्जनों समूह अलग-अलग नाम से संचालित कर रही है। आज समूह सखियों के योगदान पर मेहनत से लाखों रुपए समूह के नाम से बैंक बैलेंस है। गांव के किसी भी समूह के लाभार्थी को 1 प्रतिशत ब्याज पर उनके कामकाज के लिए दिया जाता है। वहीं समूह के मुखिया के रूप में आशा पटेल ने समूह सखियों के बारे में बताया कि हमारे असर के सभी सदस्य जो हमारे दोस्त हैं और हमारे सखी भी हैं, उसे समूह सखी कहते हैं जो आज हम अपने गांव के महिलाओं को अपने साथ समूह में जोड़कर उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर समूह को आगे ले जाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इसकी वजह से समूह के सभी साथियों को समूह द्वारा लाभ मिल रहा है।
एक कार्यक्रम के दौरान पत्र—प्रतिनिधि को समूह संचालिता आशा पटेल ने बताया कि विकलांग होने के बावजूद समूह के साथ घर पर महिला व पुरुष की चप्पल भी बनाती हूं। जीविका के लिए हर किसी को कुछ न कुछ काम अवश्य करना चाहिए। हम सभी साथियों को समूह के हर कार्यक्रम में उत्तेजित करती रहती हूं। बता दें कि उक्त विकलांग आशा के बारे में एक तत्कालीन जिलाधिकारी ने जानकारी होने पर स्वयं उससे मिलकर उसकी मेहनत व कर्मठता को देखकर सराहना किया था। साथ ही कहा था कि अगर आशा देवी जैसी जनपद के हर ब्लाक एवं गांव में समूह संचित पैदा हो जायं तो हर गांवसभा में ऐसे समूह संचालित हो सकते हैं। वहीं मां काली समूह के संचालिका के संरक्षक राधा देवी ने बताया कि जब से हमारे गांवसभा में समूह का संचालन हुआ है तब से हम सब महिलाओं का कोई काम पैसे के लिए नहीं रुकता है। सभी महिलाएं प्रति सप्ताह प्रति महिला 20 रूपये के दर से समूह में पैसा जमा किया जाता है जिससे दर्जनों समूह मिलकर डेढ़ सौ से लगभग समूह सखियां हैं। लाखों रुपए बैंक बैलेंस समूह के माध्यम से है।
लोगों के अनुसार सक्रिय समूह को देखकर सरकार की तरफ से भी समूह को योगदान बराबर मिलता रहता है। वहीं गांव के नागरिकों ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि अगर शासन द्वारा हमारे गांव के समूह सखियों को कहानी उनको संचालित कार्यक्रम सुझाव देने के लिए एक ऑफिस बन जाय तो तुम्हारे गांव की महिलाएं और आगे बढ़ने पर तत्पर होंगे। कार्यक्रम में आशा पटेल के साथ समूह सखी के रूप में ममता देवी, मालती देवी, सुशीला देवी, सरस्वती देवी, राधा देवी, आरती देवी आदि ने भाग लिया। वहीं समूह को अध्यक्ष निशा ने सभी के प्रति आभार प्रकट किया।