सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू,ऑगर मशीन के टूटे हुए ब्लेड को भी बाहर निकाला

ब्यूरो,

सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू,  ऑगर मशीन के टूटे हुए ब्लेड को भी बाहर निकाला

उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए वर्टिकल ड्रिलिंग (सुरंग में ऊपर से नीचे की ओर खुदाई) चल रही है। ऑगर मशीन के टूटे हुए ब्लेड को भी बाहर निकाल लिया गया है। अब विशेष रूप से मैनुअल खुदाई के लिए प्रशिक्षित लोग हाथ से मलबा हटाकर 10 मीटर दूर मजदूरों तक रास्ता बनाने की कोशिश करेंगे। ये ठीक उसी तरह काम करते हैं जैसे चूहे कहीं धीरे-धीरे कुतरते हुए बिल बनाते हैं, इसलिए इन्हें  इन्हें रैट माइनर्स भी कहा जाता है। सुरंग में अब एक साथ 5 योजना पर काम किया जा रहा है। मजदूर सुरंग में 16 दिन से फंसे हुए हैं। देसी और विदेशी मशीनों और एक्सपर्ट की मदद से उन्हें निकालने के लिए युद्ध स्तर पर काम चल रहा है।

41 जिंदगियों को बचाने के काम में दिनरात जुटी एजेंसियों का सबसे ज्यादा फोकस अब भी ऑगर मशीन के रास्ते पर ही है। इस क्रम में सबसे पहले पाइप में फंसी ऑगर मशीन को बाहर निकाला जाना है। इसके बाद आगे की खुदाई मैनुअल तरीके से करके श्रमिकों तक पहुंचा जाना है। अन्य विकल्पों में तीन स्थानों से वर्टिकल ड्रिलिंग होनी है। इसके तहत सुरंग के ऊपर से ड्रिलिंग शुरू भी कर दी गई है। दो अन्य स्थानों के लिए भी काम चल रहा रही है। सुरंग के दूसरे छोर यानि बड़कोट साइड पर भी बचाव कार्य लगातार जारी हैं। यहां टीएचडीसी ने चार विस्फोट कर 10.7 मीटर रास्ता बना लिया है। यहां दो मीटर चौड़ाई का पाइप 483 मीटर दूरी तक बिछाया जाना है।

इस संबंध में सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्रालय के अपर सचिव महमूद अहमद ने रविवार को बताया कि रेस्क्यू ऑपरेशन में अब एक साथ कई प्लानिंग पर काम चल रहा है। रविवार से सुरंग के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग का काम शुरू हो गया है। 19.2 मीटर वर्टिकल ड्रिलिंग की जा चुकी है। यहां 86 मीटर ड्रिलिंग की जानी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को टनकपुर के छीनीगोठ में पुष्कर के माता-पिता से मुलाकात की। इस दौरान सीएम ने उन्हें बताया कि मशीन फंसने से बचाव कार्यों में देरी हो रही है। अब धीरे-धीरे रेस्क्यू करके कुछ घंटों में पुष्कर समेत सभी श्रमिकों को सकुशल निकाल लिया जाएगा। विशेषज्ञ बचाव में तेजी ला रहे हैं।

 

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