ब्यूरो,
महिला आरक्षण बिल मंगलवार को लोकसभा में पेश किया गया। विधि एवं न्याय मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुनराम मेघवाल ने विपक्ष के शोर-शराबे के विपक्ष संविधान (एक सौ अट्ठाईसवां संशोधन) विधेयक, 2023 पेश किया। बिल के बारे में बताते हुए अर्जुन मेघवाल ने यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमंते तत्र देवता पढ़ते हुए नारी शक्ति को नमन किया। इस बिल का नाम ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ रखा गया है। इस बीच विपक्ष की तरफ से हंगामा जारी रहा। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने बताया कि आज यह बिल संसद में पेश किया गया है। अब इस पर बुधवार को बहस होगी। मेघवाल ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि यह विधेयक महिला सशक्तीकरण से संबंधित विधेयक है। इसके कानून बन जाने के बाद 543 सदस्यों वाली लोकसभा में महिला सदस्यों की मौजूदा संख्या (82) बढ़कर 181 हो जाएगी। इसके पारित होने के बाद विधानसभाओं में भी महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि विधेयक में फिलहाल 15 साल के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है और संसद को इसे बढ़ाने का अधिकार होगा। मेघवाल ने 2010 में महिला आरक्षण विधेयक राज्यसभा में पारित होने के बाद उसे लोकसभा से पारित न कराने को लेकर तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार की मंशा पर संदेह व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि राज्यसभा में पारित होने के बावजूद महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा में पारित नहीं कराया जा सका, यह तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार की नाकामी को दर्शाता है।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि महिला आरक्षण बिल पर काफी चर्चा हुई हैं, बहुत वाद-विवाद भी हुए हैं। अटल बिहारी वाजपेई के शासनकाल में कई बार महिला आरक्षण बिल पेश किया गया लेकिन बिल को पारित कराने के लिए पर्याप्त बहुमत नहीं था और इस कारण यह सपना अधूरा रह गया। ईश्वर ने शायद ऐसे कई कामों के लिए मुझे चुना है। कल ही कैबिनेट में महिला आरक्षण बिल को मंजूरी दी गई है। आज महिलाएं हर क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रही हैं..हमारी सरकार आज दोनों सदनों में महिलाओं की भागीदारी पर एक नया बिल ला रही है।