ब्यूरो,
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार महिला आरक्षण विधेयक लाने की तैयारी में है। इसे कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी है और बुधवार को यह सदन में पेश किया जाएगा। विधेयक का कांग्रेस, बीआरएस जैसी पार्टियों ने खुलकर समर्थन किया है और क्रेडिट लेने की भी कोशिश की है। इस बीच जेडीयू और आरजेडी का कहना है कि वे बिल की कॉपी लेने के बाद ही इस पर कुछ कहेंगे। माना जा रहा है कि सपा, जेडीयू और आरजेडी इस मामले में ऐतराज जता सकते हैं। इन पार्टियों ने 2008 में महिला आरक्षण में भी सब-कोटे की मांग करते हुए कहा था कि एससी, एसटी और ओबीसी महिलाओं को इसमें भी आरक्षण मिलना चाहिए।
तब यूपीए सरकार के बिल में ऐसा नहीं था और कहा जाता है कि इसीलिए समाजवादी दलों ने विरोध किया था और फिर बिल को लोकसभा में पेश ही नहीं किया जा सका। हालांकि यह विधेयक राज्यसभा से कांग्रेस ने पारित करा लिया था। उस विधेयक में लोकसभा, राज्यसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण का प्रावधान था। लेकिन इसमें किसी तरह के सब-कोटा की बात नहीं थी। अब मोदी सरकार का बिल कैसा यह देखना होगा और यदि इसमें सब-कोटा नहीं है तो फिर समाजवादी दल एक बार फिर से मुखालफत कर सकते हैं।
लेकिन इसमें पेच यह फंस रहा है कि INDIAगठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस ने कभी सबकोटा की मांग नहीं की थी। ऐसे में महिला आरक्षण विधेयक को लेकर INDIA में ही दरार दिख सकती है। राज्यसभा में यूपीए सरकार के दौरान जब बिल पेश हुआ था तो आरजेडी के सांसदों ने खूब बवाल काटा था और उन्हें सदन से बाहर करने के लिए मार्शल तक बुलाने पड़े थे। यहां तक कि इन दलों ने बिल की कॉपियां भी फाड़ दी थीं। माना जा रहा है कि मोदी सरकार महिला आरक्षण वाले दांव के बाद ही 2024 के चुनाव में उतरना चाहती है।
मोदी सरकार को लगता है कि यह वैसा ही दांव होगा, जैसे उसने आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए 10 फीसदी आरक्षण लाकर 2019 में चला था। वह बिल भी मार्च 2019 में लाया गया था और फिर सरकार चुनाव में चली गई थी। संसदीय सूत्रों का कहना है कि मंगलवार को नई संसद का श्रीगणेश होगा और कुछ अन्य कार्यक्रम ही होंगे। लेकिन इस दौरान कोई विधायी कार्य नहीं होगा। सरकार बुधवार से शुक्रवार तक विधायी कार्यों को निपटाएगी और कई अहम बिल पारित कराए जा सकते हैं।