दूसरे राज्यों से यूपी आ रहे श्रमिकों की घर वापसी को लेकर भाजपा और कांग्रेस में शनिवार शाम से शुरू हुआ शह मात का खेल करीब 100 घंटे से भी ज्यादा बीतने के बाद मंगलवार को भी जारी रहा। प्रियंका गांधी की 1000 बसों की पेशकश को योगी सरकार के मंजूर करने के कदम को महामारी के दौर में सकारात्मक सियासत कह कर सराहा गया लेकिन मंगलवार की सुबह 10 बजते -बजते दोनों दलों में सियासी आरोप-प्रत्यारोपों का दौर और तीखा हो गया। अंतत: मंगलवार को शाम तक न तो श्रमिकों को बसें ही मिल सकीं और न ही बसें सरकार की मंशा के मुताबिक कांग्रेस ने गाजियाबाद पहुंचाईं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को दर्जनों साथियों संग आगरा सीमा पर धरना देने के बाद गिरफ्तार कर लिया लिया ।
प्रियंका ने योगी सरकार को घेरते हुए पूरे घटनाक्रम पर ट्वीट कर कहा कि श्रमिकों के लिए बसें ले जाने दीजिए, चाहे बसों पर भाजपा के झंडे लगा दीजिए। इसके उलट सरकार ने दावा कर दिया कि बसों के नंबर की दी गई सूची में टैक्सी, एंबुलेंस, कारों और थ्री व्हीलर के भी नंबर हैं।ताजा खींचतान की शुरुआत सोमवार को देर रात तब हुई जब प्रदेश के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी की ओर से प्रियंका गांधी के निजी सचिव को रात 11.40 बजे पत्र भेजा गया। इसमें कहा गया कि 1000 बसें मंगलवार को सुबह 9 बजे लखनऊ में डीएम के सुपुर्द कर दी जाएं। इसके जवाब में प्रियंका के निजी सचिव संदीप सिंह ने सोमवार की रात 2.10 मिनट पर जवाब दिया। उन्होंने कहा कि चूंकि श्रमिकों को दिल्ली-यूपी की सीमा से यूपी में आना है और वहां श्रमिकों की लाखों की भीड़ जमा है लिहाजा लखनऊ बसें भेजना न सिर्फ समय बल्कि संसाधनों की भी बर्बादी होगी। बसें लखनऊ में मांगना राजनीति से प्रेरित कदम है। लिहाजा, हमारी बसों को गाजियाबाद-नोएडा सीमा से चलाने के दिशा-निर्देश दें। अवनीश अवस्थी की ओर से प्रियंका के निजी सचिव को मंगलवार की सुबह 10.30 बजे पत्र लिखकर कहा गया कि 500 बसें दोपहर 12 बजे तक गाजियाबाद में कौशांबी बस अड्डे पर और 500 बसें नोएडा में जिलाधिकारी को सुपुर्द कर दें। इस पत्र के मिलते ही कांग्रेस की ओर से बसों शाम 5 बजे तक मुहैया कराने की बात कही गई। साथ ही कांग्रेस ने योगी सरकार से शाम 5 बजे तक रजिस्टर्ड श्रमिकों की सूची मांग ली, जिन्हें बसों से पहुंचाया जाना था। इसी के बाद सियासी तीर और तेज हो गए।कांग्रेस की ओर से अजय कुमार लल्ल, अराधना शुक्ला मोना और प्रमोद तिवारी ने मोर्चा संभाला तो प्रदेश सरकार की ओर से सिद्धार्थनाथ सिंह, डिप्टी सीएम डा. दिनेश शर्मा और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने जवाबी हमला किया। प्रदेश सरकार के प्रवक्ता व मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि प्रियंका पहले राजस्थान से आ रहे मजदूरों को बसें क्यों नहीं मुहैया करातीं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने सरकार के रवैये को आड़े हाथ लेते हुए इसे कोरी सियासत करार दिया। कहा कि प्रदेश सरकार लोगों को भ्रमित कर रही है।प्रियंका गांधी के निर्देश पर अजय कुमार लल्लू आगरा रवाना हो गए। उन्हें आगरा सीमा पर खड़ी बसें लेकर गाजियाबाद व नोएडा पहुंचने को कहा। लल्लू आगरा पहुंचते उससे पहले ही उन्हें मथुरा में पुलिस ने रोक लिया। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि बसों के बारे में मथुरा प्रशासन को सूचित ही नहीं किया गया।
प्रियंका के सचिव संदीप सिंह 3.45 बजे पत्र भेजकर अपर मुख्य सचिव गृह से कहा कि आगरा बॉर्डर ऊंचा नगला पर बसें खड़ी हैं। आगरा का जिला प्रशासन बसों को आने की अनुमति नहीं दे रहा। कृपया आगरा से गाजियाबाद नोएडा बसें ले जाने की अनुमति दिलाएं।