उत्तर प्रदेश शिया व सुन्नी वक्फ बोर्ड का कार्यकाल खत्म हो गया है। अब यह दोनों बोर्ड फिलहाल सरकार के अधीन ही रहेंगे। सुन्नी वक्फ बोर्ड का कार्यकाल तो 31 मार्च को ही पूरा हो चुका था, मंगलवार 18 मई को शिया वक्फ बोर्ड का कार्यकाल भी पूरा हो गया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार अयोध्या के मंदिर-मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले और अयोध्या में किसी अन्य स्थान पर 5 एकड़ जमीन पर मस्जिद निर्माण के लिए सहमति आदि से जुड़ी तमाम फाइलें व दस्तावेज जुफर फारुकी के पास ही हैं। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि प्रदेश सरकार का कोई प्रतिनिधि या अधिकारी उनसे बात तो करे तभी तो वह फाइलें सोंपेंगे। बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एस.एम.शुएब का कहना है कि उन्होंने तो शासन को मार्च में ही पत्र भेज कर सूचित कर दिया था। मगर अभी तक उन्हें कोई दिशा निर्देश शासन से नहीं मिले हैं। इसके लिए उन्होंने कोरोना संकट और लाकडाउन को जिम्मेदार ठहराया।
सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन रहे जुफर फारुकी तो पिछले लगातार 10 वर्षों तक बोर्ड का संचालन करते रहे। वह वर्ष 2010 में पहली बार बसपा के कार्यकाल में बोर्ड के चेयरमैन बने थे। उसके बाद सपा सरकार 2012 में बनी तो भी वह अपने पद पर बने रहे। फिर 2015 में वह दोबारा चेयरमैन बने और 2017 में भाजपा की सरकार बनने के बावजूद वह बोर्ड का संचालन करते रहे।
दूसरी ओर शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने 2015 में अपना पद सम्भाला था और उसके बाद वह लगातार कार्य करते रहे। भाजपा की सरकार आने के बाद उन्होंने भी अपना पद नहीं छोड़ा था। वसीम रिजवी जहां मीडिया में अपने बयानों की वजह से आए दिन सुर्खियों में रहे । अपने कार्यकाल में सबसे बड़ा काम उन्होंने अयोध्या प्रकरण में राम मंदिर के पक्ष में अपनी बात जनता से लेकर देश की सबसे बड़ी अदालत तक में रखी और आखिर तक उस बात पर कायम रहे।