असफलता के डर को साइड कर आगे बढ़ाएं कदम

असफलता का डर इतना बड़ा होता है, कुछ लोग अपनी मंजिल की ओर कदम ही नहीं बढ़ा पाते हैं। आपको जब भी लगे कि आपका आत्मविश्वास डगमगा रहा है, तो अपने आपसे यही सवाल पूछें कि अगर सफल नहीं हुए तो ज्यादा से ज्यादा बुरा क्या हो सकता है? साथ ही यह भी सोचें कि अगर जीत गए तो? जिस पल दिलो-दिमाग बुरे के लिए तैयार होंगे, समझ जाइए उसी पल आधी जीत तो पक्की हो गई। यही बात हमारी आज की कहानी में भी बताई गई है।

एक हास्य कलाकार रेडियो स्टेशन में काम करता था। उसका प्रोग्राम काफी लोकप्रिय था। एक दिन उसके पास एक अखबार से फोन आया कि वे उसपर लेख लिखना चाहते हैं। इंटरव्यू पूरा हुआ तो उससे पूछा गया कि आप आगे क्या करने की सोच रहे हैं? तब तक उसने अपने भविष्य के बारे में कुछ भी नहीं सोचा था। एकदम से उसके मुंह से निकला कि मैं सबसे तेज बोलने का गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाना चाहता हूं।

अखबार में अगले दिन वह लेख छपा और इत्तेफाक से उसी दिन शाम को उसके पास एक अन्य शो का ऑफर आया। शो के संचालक चाहते थे कि उसी रात उनके प्रोग्राम पर वह शख्स रिकॉर्ड तोड़ने की कोशिश करे। वह व्यक्ति बड़ी कशमकश में फंस गया था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह हां करे या ना करे। उसने पहले कभी शो का नाम नहीं सुना था। बताया गया कि वह नेशनल टेलीविजन का बड़ा शो था। किसी के लिए भी यह जिंदगी का ऐसा मौका था, जो दोबारा नहीं मिलने वाला था।

कुछ देर सोचने के बाद उसने शो के संचालक को अपनी सहमति दे दी। फोन रखने के साथ ही वह सोच में पड़ गया कि मैं शो पर क्या करूंगा। वह घबराया हुआ था और उत्साहित भी। रात 8 बजे गाड़ी उसे लेने आ गई। वह पूरे रास्ते अभ्यास करता रहा। पर स्टूडियो में पहुंचने पर उसकी बोलती बंद हो गई। उसके मन में कई सवाल उमड़ रहे थे कि अगर मैं रिकॉर्ड न तोड़ पाया तो? यहां भी सबसे बुरा क्या हो सकता है, यह कि मैं नेशनल टेलीविजन पर एक मूर्ख जैसा लगूंगा और इसके उलट मैंने रिकॉर्ड तोड़ दिया तो। मन में इन सवाल-जवाबों के बीच वह परीक्षा की उस घड़ी में कूद गया। शो खत्म होने तक वह 1 मिनट में 585 शब्द बोलकर सबसे तेज बोलने वाला पुरुष बन चुका था।
असफलता का डर हर किसी को होता है। मगर इसे खुद पर हावी होने देने से बचना चाहिए। जब कभी दिमाग पसोपेश में हो, तो खुद से पूछें कि अगर सफल नहीं हुए तो ज्यादा से क्या हो सकता है। 

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