ऐसे थे मेरे प्रिय बापू

मनोज शर्मा,

प्रिय भारतीयों
उत्तराखंड में एक बेहद खूबसूरत
जगह है कौसानी, हिमालय दर्शन और सुकून कुदरत का एहसास आपको मिलता है वहा, सन 1929
बापू वहा गए थे मात्र 2 दिनों
के प्रवास के लिए और बापू
का वहा मन लग गया था और
बापू वहा 14 दिनों तक रहे
बापू ने उस जगह को मिनी स्विजरलैंड कहां था जिसका जिक्र उनकी लिखी पुस्तक में भी है
बापू ने एक पुस्तक लिखी थी
सत्य के साथ उनके प्रयोग
मैने वो पुस्तक पूरी पढ़ी है
महत्मा गांधी भारत देश के
राष्टपिता थे
सादा जीवन उच्च विचार अल्प
भोजन लेना योग करना शांत रहना कम बोलना हमेशा पढ़ते
रहना,बड़ी गंभीरता से विचार विमर्श करना,गहन चिंतन करना कभी विवाद मै ना रहना बापू
जमीनी स्तर पर कार्य करते थे
ऐसे थे मेरे प्रिय बापू
कौसानी मै बापू का आश्रम है और वहा
उनके अनेकों चित्र उनके जीवन दर्शन से संबंधित एक बेहद खूबसूरत आश्रम है जिसका नाम है अनासक्ति आश्रम
महान साइंटिस्ट ऑस्टिन ने बापू के लिए एक बात लिखी थीं आने वाली पीढ़ियां भारत की शायद यह भूल जाए इस शताब्दी में भारत में एक ऐसा युगपुरुष जन्मा है
जिसका नाम महत्मा गांधी है
दिल को छू लेने वाली बात लिखीं
थी महान साइंटिस्ट ऑस्टिन ने बापू के बारे में

बापू के जीवन दर्शन की और झलक ये है वो झलक बापू
को बुलंदी पर ले जाती है
नेल्सन मंडेला को गांधी की उपाधि दी गई थी महात्मा गांधी से प्रेरित होकर
पूरे विश्व मै बापू के जीवन का
डंका बजा था
बेहद पतले दुबले पैदल चलने वाले बाबू को उनके जन्मदिवस पर याद करते हुए उनके जीवन से मार्गदर्शन लेते हुए भारत की आने वाली पीढ़ियों को बापू को हमेशा याद रखना होगा

मनोज शर्मा

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